Wednesday, January 15, 2025
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Sanjay Raut: क्या है पात्रा चॉल घोटाला जिसमें ED कर रही संजय राउत से पूछताछ? जानें कैसे उजड़ गए थे लोगों के बसे-बसाए घर

Sanjay Raut: महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी (GACPL) से यहां फ्लैट्स बनाने का करार किया। इस कंपनी के साथ हुए समझौते के अनुसार, इस जमीन पर 3,000 फ्लैट बनने थे। इसमें से 672 फ्लैट वहां चॉल में रहने वाले लोगों को दिए जाने थे।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published : Aug 01, 2022 13:59 IST, Updated : Aug 01, 2022 13:59 IST
Sanjay Raut
Image Source : INDIA TV Sanjay Raut

Highlights

  • पात्रा चॉल जमीन घोटाला में ED की गिरफ्त में हैं राउत
  • साल 2007 में खाली कराई गई थी चॉल की जमीन
  • GACPL कंपनी से किया गया था फ़्लैट बनाने का करार

Sanjay Raut: पिछले एक महीने से महाराष्ट्र ख़बरों में बना हुआ है। पहले सत्ता परिवर्तन की वजह से और अब संजय राउत की वजह से। हालांकि सत्ता परिवर्तन वाली ख़बरों में भी संजय राउत चर्चा में रहे थे लेकिन इस बार वह खुद ही चर्चा में हैं। चर्चा में इसलिए क्योंकि ED ने मुंबई के पात्रा चॉल (Patra Chawl Scam) घोटाले में  संजय राउत को गिरफ्तार कर लिया है। और आज उनकी कोर्ट में पेशी होनी है। 

आखिर है क्या पात्रा चॉल घोटाला ?

साल 2007 में एक जमीन पर टिन के चॉल में 500 से ज्यादा परिवार रहते थे। महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी (GACPL) से यहां फ्लैट्स बनाने का करार किया। इस कंपनी के साथ हुए समझौते के अनुसार, इस जमीन पर 3,000 फ्लैट बनने थे। इसमें से 672 फ्लैट वहां चॉल में रहने वाले लोगों को दिए जाने थे। करार में यह स्पष्ट तरीके से कहा गया था कि यहां फ्लैट बनाने वाली कंपनी को इस जमीन बेचने का अधिकार नहीं होगा। लेकिन आरोप है कि कंपनी ने समझौते का उल्लंघन करते हुए इस जमीन को 9 अलग-अलग बिल्डर्स को 1,034 करोड़ में बेच दिया। कंपनी ने जमीन को बेंच तो दिया लेकिन फ्लैट एक भी नहीं बना।

चॉल में रहने वाले हो गए बेघर 

चॉल में रहने वाले परिवारों ने पक्के मकानों जके सपने में अपने टिन के मकान तो छोड़ दिए लेकिन उनके सपने मुंबई की बारिश में धुल गए। म्हाडा से हुए समझौते के तहत प्रोजेक्ट पूरा होने तक इन सभी 672 लोगों को GACPL को हर महीने रेंट भी देना था। हालांकि, इन सभी को केवल 2014-15 तक ही रेंट दिया गया। इसके बाद अपने बने बनाए टिन के मकानों को छोड़कर किराएदार बने लोगों ने किराया नहीं मिलने की शिकायत करने लगे। यही नहीं, वो प्रोजेक्ट में देरी की शिकायत को लेकर दर-दर भटकने लगे। GACPL के रेंट नहीं देने और अनियमितताओं के कारण म्हाडा ने 12 जनवरी 2018 को कंपनी को टर्मिनेशन नोटिस भेज दिया। लेकिन इस नोटिस के खिलाफ सभी 9 बिल्डरों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी।  कंपनी की अनियमितताओं के और इन सब चक्करों में प्रोजेक्ट का काम रुक गया और बेचारे चॉल के 672 लोगों को कुछ नहीं मिला। जो कभी अपने घर के मालिक होते थे वे आज दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं।

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