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Sanjay Raut: शिवसेना की असली ताकत उसके कार्यकर्ता, बदले की भावना से पार्टी तोड़ने की कोशिश-संजय राउत

Sanjay Raut:  उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का ऑक्सीजन सत्ता नहीं है। पार्टी है इसलिए सत्ता आती है। पार्टी में लोग आते हैं और चले जाते हैं।

Written By: Niraj Kumar
Published on: July 04, 2022 14:45 IST
Sanjay Raut, Shiv Sena- India TV Hindi
Image Source : FILE Sanjay Raut, Shiv Sena

Highlights

  • विधायक-सांसद हमारी ताकत नहीं-संजय राउत
  • ये लोग दोबारा चुनकर कैसे आएंगे-संजय राउत

Sanjay Raut:  शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि शिवसेना को बदले की भावना से तोड़ने की कोशिश की गई है। शिवसेना कैडर बेस पार्टी है और उसके कार्यकर्ता ही उसकी असली ताकत हैं। उन्होंने कहा कि विधायक-सांसद हमारी ताकत नहीं। उनका भाग्य क्या है देखेंगे। हम देखेंगे कि ये लोग कैसे अपने क्षेत्र में जनता के बीच जाते हैं।

हमारी पार्टी का ऑक्सीजन सत्ता नहीं-राउत

विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले उनन्होंने कहा कि बदले की भावना से पार्टी को तोड़ने का प्रयास किया गया। शिवसेना को कमजोर करने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का ऑक्सीजन सत्ता नहीं है। पार्टी है इसलिए सत्ता आती है। पार्टी में लोग आते हैं और चले जाते हैं। हमारे लोग भी चले गए हैं। लेकिन ये लोग दोबारा चुनकर कैसे आएंगे। ये वैकल्पिक व्यवस्था है। हम गांव-गांव में जाएंगे लोगों से मिलेंगे। 

ठाकरे नाम शिवसेना का पर्याय है-संजय राउत

संजय राउत ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि इन विधायकों (शिंदे गुट के) को खुद से कुछ सवाल पूछने चाहिए। उन्होंने चुनाव जीतने के लिए पार्टी के चिन्ह और इसके साथ मिलने वाले सभी लाभों का इस्तेमाल किया और फिर उसी पार्टी को तोड़ दिया। राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘हम निश्चित रूप से इसे अदालत में चुनौती देंगे। शिंदे गुट ने शिवसेना छोड़ दी, फिर वे कैसे दावा कर सकते हैं कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला समूह नहीं बल्कि उनका समूह मूल पार्टी है। ठाकरे नाम शिवसेना का पर्याय है।’

राउत ने पुरानी घटना का किया जिक्र

राउत ने कहा कि उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने एक कार्यक्रम में भाग नहीं लेने के पार्टी के आदेश की अवहेलना करने पर जद (यू) नेता शरद यादव को निलंबित कर दिया था। शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता ने दावा किया, ‘घटनाक्रम संसद में भी नहीं हुआ था, लेकिन फिर भी उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ा।’ उन्होंने पूछा, ‘‘हालांकि, जब हम 39 (शिंदे गुट के) में से 16 विधायकों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की उम्मीद करते हैं तो ऐसे नियम हमारे लिए लागू नहीं होते हैं। क्या यह उचित है?’’ उन्होंने कहा कि जब कोई फैसला किसी व्यक्ति या पार्टी की सुविधा के अनुसार दिया जाता है तो वह संसदीय लोकतंत्र नहीं होता। 

इनपुट-भाषा

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