
शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत अपने बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सम्मानित करने के लिए संजय राउत ने शरद पवार पर निशाना साधा था। इसके कुछ दिनों बाद संजय राउत ने गुरुवार को शरद पवार की तुलना मराठा सेनापति महादजी शिंदे से की है।
पवार को महाराष्ट्र दिल्ली में देखना चाहता है
मराठा सेनापति महादजी शिंदे ने 18वीं शताब्दी में दिल्ली पर विजय प्राप्त की थी। एक पुस्तक के विमोचन के लिए आयोजित समारोह में शरद पवार के साथ मंच साझा करते हुए राज्यसभा सदस्य राउत ने एनसीपी (SP) प्रमुख की प्रशंसा की और उन्हें ऐसा नेता बताया जिन्हें महाराष्ट्र दिल्ली में देखना चाहता है।
शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को किया था सम्मानित
शिवसेना (UBT) ने पिछले महीने पवार द्वारा एकनाथ शिंदे को सम्मानित किए जाने की आलोचना की थी। शिंदे को पुणे के एक गैर सरकारी संगठन द्वारा स्थापित महादजी शिंदे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। शिंदे 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को गिराकर भारतीय जनता पार्टी BJP) के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे।
शरद पवार हमारे विरोधी नहीं- राउत
नीलेश कुमार कुलकर्णी द्वारा लिखित पुस्तक ‘संसद ते सेंट्रा विस्टा’ (संसद से सेंट्रल विस्टा तक) का विमोचन करने के बाद राउत ने कहा, ‘शरद पवार हमारे विरोधी नहीं हैं। वह कभी हमारे दुश्मन नहीं रहे। वह हमारे मार्गदर्शक और हमारे नेता हैं। वह हमारे महादजी शिंदे हैं।’ राउत ने कहा कि मराठा साम्राज्य के सेनापति दिल्ली में ‘किंगमेकर’ थे और उन्होंने दो बार विजय प्राप्त करने के बाद यहां शासकों की नियुक्ति की। हालांकि, राउत ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति स्थायी रूप से बसने के इरादे से दिल्ली आता है तो वह ऐसा नहीं कर सकता।
कुछ गुजरात लौट जाएंगे- राउत
राउत ने कहा, ‘यह परिवर्तन का शहर है। बाहरी लोग यहां आते हैं, शासन करते हैं और वापस चले जाते हैं। जो लोग आज दिल्ली पर शासन कर रहे हैं, उन्हें भी वापस लौटना होगा। कुछ लोग राजस्थान लौट गए हैं और कुछ महाराष्ट्र लौट गए तथा कुछ गुजरात लौट जाएंगे।’ शिवसेना (UBT) नेता राउत ने यह भी कहा कि विश्वासघात और षड्यंत्र दिल्ली में जीवन का अभिन्न अंग हैं।
दिल्ली की अपनी पहली यात्रा को पवार ने किया याद
शरद पवार ने भी 1962-63 में कांग्रेस की बैठक के लिए दिल्ली की अपनी पहली यात्रा को याद करते हुए बताया कि कैसे वह और पार्टी में उनके कुछ साथी पहली बार जवाहरलाल नेहरू को देखकर अचंभित रह गए थे। (भाषा के इनपुट के साथ)