नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर का विरोध नहीं है। हमारा विरोध उद्घाटन समारोह को लेकर भी नहीं है। उन्होंने कहा कि संसद की प्रमुख राष्ट्रपति होती हैं, उनको ही निमंत्रण नहीं दे रहे हैं। निमंत्रण पत्रिका पर सिर्फ मोदी और मोदी हैं। उपराष्ट्रपति का भी प्रोटोकोल होता है। लोकतंत्र के मंदिर के प्रमुख तो राष्ट्रपति होते हैं, उनको ही नहीं बुलाया गया।
"यहां तो सिर्फ मैं-मैं और मैं..."
उद्धव गुट के नेता राउत ने कहा, "लोकतंत्र के मंदिर में विपक्ष के नेता का भी एक कद होता है और उनको भी सम्मान से बुलाना चाहिए, लेकिन यहां तो सिर्फ मैं-मैं और मैं का अहंकार दिख रहा है। ना राष्ट्रपति, ना उपराष्ट्रपति, ना संसदीय कार्य मंत्री, विरोधी इस प्रवृत्ति का है। इंदिरा गांधी ने एक्स्टेंशन भवन का उद्घाटन किया या फिर राजीव गांधी ने लाइब्रेरी का उद्घाटन किया, यह अलग बात है, यहां बात संसद भवन की हो रही है।"
"संसद भवन और विधान भवन में फर्क है"
संजय राउत ने कहा, "संसद भवन और विधान भवन में फर्क है। मैं फिर यही कहूंगा विधान भवन का उद्घाटन राज्यपाल नहीं करेंगे, प्रधानमंत्री कर सकते हैं, राष्ट्रपति को भी बुलाया जा सकता है, लेकिन संसद भवन का उद्घाटन तो राष्ट्रपति को ही करना चाहिए और बात इसी की होनी चाहिए, इधर-उधर की बात नहीं होनी चाहिए।"
"राम मंदिर के उद्घाटन का विरोध क्यों करेंगे?"
राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर उन्होंने कहा, "हम इसका विरोध क्यों करेंगे। किसने कहा कि हम बायकॉट करेंगे। बिना आमंत्रण के हम वहां आ जाएंगे। हमने राम मंदिर के लिए आंदोलन किया है। राम मंदिर किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं है। वहीं, संसद भी किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं है। जो हमारा ऐतिहासिक संसद भवन है, वहां तो संसद चलने नहीं देते। वहां हंगामा करते हैं। विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं देते। प्रधानमंत्री और सरकार भाग जाती है, तो कौन से लोकतंत्र संसद भवन की बात कर रहे हैं।"
संजय राउत ने कहा, "मैं कह रहा हूं कि उन्हीं आदिवासी महिला से उद्घाटन करवाइए सिर्फ और बताइए कि केवल राजनीति के लिए किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति नहीं बनाया, बल्कि उनका सम्मान करते हैं।"
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