Friday, November 22, 2024
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सोनू सूद की आलोचना पर संजय राउत ने दी सफाई, कहा- "वह अच्छे एक्टर हैं लेकिन...."

शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद की हो रही चौतरफा तारीफ पर सवाल उठाने और उनकी आलोचना करने को लेकर सफाई दी है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 07, 2020 14:44 IST
सोनू सूद की आलोचना पर संजय राउत ने दी सफाई, कहा- "वह अच्छे एक्टर हैं लेकिन...."- India TV Hindi
Image Source : PTI/FILE सोनू सूद की आलोचना पर संजय राउत ने दी सफाई, कहा- "वह अच्छे एक्टर हैं लेकिन...."

मुंबई: शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद की हो रही चौतरफा तारीफ पर सवाल उठाने और उनकी आलोचना करने को लेकर सफाई दी है। संजय राउत ने कहा, "सोनू सूद अच्छे अभिनेता हैं। फिल्मों के लिए अलग निर्देशक होते हैं, जिनमें उन्होंने जो काम किया है वह अच्छा है। लेकिन, इसके पीछे (लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के पीछे) एक राजनीतिक निर्देशक होने की संभावना है।"

बता दें कि शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने 'सामना' के 'रोखटोक' आर्टिकल में सोनू सूद को बहुत ही चतुराई के साथ महात्मा की तरह पेश किए जाने की बात कही थी। उन्होंने सवाल किया था, 'क्या इतने झटके और चतुराई के साथ किसी को महात्मा बनाया जा सकता है?' 

संजय राउत ने आर्टिकल में लिखा था कि 'लॉकडाउन के दौरान आचानक सोनू सूद नाम से नया महात्मा तैयार हो गया है। कहा जा रहा है कि सोनू सूद ने लाखों प्रवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों में मौजूद उनके घर पर पहुंचाया। इसका मतलब है कि केंद्र और राज्य सरकार ने कुछ नहीं किया।'

राउत ने लिखा था कि 'इस कार्य के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल ने महात्मा सूद को शाबाशी दी है।' हालांकि, राज्य सरकार में हिस्सेदार कांग्रेस ने शिवसेना द्वारा सोनू सूद की आलोचना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए प्रवासी मज़दूरों के मामले में ठाकरे सरकार को फेल करार दिया।

कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा कि शिवसेना तिलमिलाई हुई है। क्योंकि, ढाई महीने तक मज़दूर राज्य और मुम्बई में तड़पते रहे। उन्हें खाना नहीं मिला, राशन नहीं मिला और जब उन्हें उनके घर भेजने की बारी आई तो सरकार में ही तालमेल नहीं रहा।

संजय निरुपम ने एक ट्वीट में लिखा, "सोनू सूद ने प्रवासी श्रमिकों की उदारता से मदद करके संकट के दौरान असाधारण काम किया। शिवसेना बड़े दिल से उन्हें सम्मानित करने के बजाय उनकी आलोचना कर रही है। शिवसेना एक सत्तारूढ़ पार्टी है। प्रवासियों के संकट से निपटने में विफलता को छिपाने के लिए इन्हें इस स्तर तक नहीं रुकना चाहिए।"

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