मुंबई: कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने शिवसेना द्वारा फिल्म अभिनेता सोनू सूद की आलोचना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। निरुपम ने कहा है कि प्रवासी मजदूर कई दिनों तक महाराष्ट्र और मुंबई में तड़पते रहे, और यह सरकार इस मामले में फेल रही। बता दें कि महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी सरकार में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ खुद संजय निरुपम की पार्टी कांग्रेस भी शामिल है। ऐसे में देखना होगा कि शिवसेना निरुपम के बयान पर क्या कहती है।
‘दुर्भाग्यपूर्ण है सोनू सूद की आलोचना’
कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने शिवसेना द्वारा एक्टर सोनू सूद की आलोचना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रवासी मज़दूरों के मामले में ठाकरे सरकार फेल रही है। निरुपम ने कहा कि शिवसेना तिलमिलाई हुई है, क्योंकि प्रवासी मजदूर ढाई महीने तक महाराष्ट्र और मुंबई में तड़पते रहे। कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को खाना नहीं मिला,राशन नहीं मिला और जब उन्हें उनके घर भेजने की बारी आई तो सरकार में ही तालमेल नहीं रहा।
राउत से साधा था सोनू सूद पर निशाना
एक तरफ जहां मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में फंसे प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने को लेकर सोनू सूद की जमकर तारीफ हो रही है तो दूसरी तरफ महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना के नेता संजय राउत को यह प्रशंसा रास नहीं आई। राउत ने सोनू सूद पर निशाना साधते हुए अपने कॉलम 'रोखटोक' में कहा, 'लॉकडाउन के दौरान आचानक सोनू सूद नाम से नया महात्मा तैयार हो गया। इतने झटके और चतुराई के साथ किसी को महात्मा बनाया जा सकता है?’
राज्यपाल की शाबाशी भी चुभी
राउत ने आगे लिखा, ‘कहा जा रहा है कि सोनू सूद ने लाखों प्रवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों में उनके घर पहुंचाया, अर्थात् केंद्र और राज्य सरकार ने कुछ भी नहीं किया। इस कार्य के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी महात्मा सूद को शाबाशी दी।' राउत के इस बयान को बीजेपी ने भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। बीजेपी नेता रामकदम ने राउत पर निशाना साधते हुए कहा कि कोरोना के संकट काल में इंसानियत के नाते सड़क पर उतरकर मजदूरों की सहायता करने वाले सोनू सूद पर संजय राउत का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है।