महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुआई में शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने एक पोस्टर पर चप्पल मारी, जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और दोनों उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार की फोटो छपी हुई थी। उद्धव के इस विरोध प्रदर्शन को लेकर शिवसेना के पूर्व सांसद और प्रवक्ता संजय निरूपम नारागजी जाहिर की।
संजय निरूपम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा "महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री की करतूत देखिए। संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत नेताओं की तस्वीरों पर जूते मार रहे हैं। यह सुसंस्कृत महाराष्ट्र की परंपरा नहीं है। विरोधी पक्ष को विरोध प्रदर्शित करने का संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है पर निकृष्ट हरकत करने का नहीं। कांग्रेस भी कितनी असभ्य हो गई है,तस्वीर में दिख रहा है। क्या यही है उनकी मुहब्बत की दुकान ? इस नीचता के लिए महाराष्ट्र का सभ्य समाज इन्हें कभी माफ नहीं करेगा।"
शिवाजी का अपमान कर रहा विपक्ष
संजय निरूपम ने कहा "शिवाजी महाराज पर जिस तरह से महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता राजनीति कर रहे हैं। वो बेहद दुखद है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री ने माफी भी मांग ली उसके बाद भी विपक्षी नेता जिस तरह मालवण में शिवाजी की खंडित मूर्ति की तस्वीर बार-बार ट्वीट कर रहे हैं, क्या वो शिवाजी का अपमान नहीं है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी मोहब्बत की दुकान खोलने की बात करते हैं। रविवार को गेटवे पर जिस तरह से उद्धव और खुद पूर्व सीएम पृथ्वीराज चौहान सीएम शिंदे की तस्वीर पर जूते मार रहे थे। यह कौन सी सभ्य राजनीति का हिस्सा है? क्या यही राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान में नफरत की तस्वीर है?
कांग्रेस ने कभी शिवाजी का सम्मान नहीं किया
विपक्ष को राजनीति करने का पूरा हक है, लेकिन शिवाजी महाराज के नाम पर राजनीति करना। मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री के संवैधानिक पद पर बैठे शख्स की तस्वीर पर जूते मारना। यह कहां तक जायज है? कांग्रेस ने कभी भी शिवाजी महाराज का उचित सम्मान नहीं किया। अभी जो कांग्रेस का शिवाजी के लिए प्रेम है वो पूरी तरह से "चुनावी प्रेम" है। क्योंकि महाराष्ट्र में शिवजयंती (शिवाजी का जन्मदिन) कांग्रेस कभी भी नहीं मनाती थी या बहुत छोटे स्तर पर करती थी। एक समय बाद कांग्रेस को शिवाजी एक सांप्रदायिक चेहरा लगने लगे। एक खास धर्म को लेकर शिवाजी के विचार कांग्रेस को पसंद नहीं थे।
शिवसेना ही हमेशा से शिवजयंती मानती आई है। शिवाजी के सम्मान को कांग्रेस ने हमेशा कम करके आंका है। यही वजह है कि कर्नाटक में शिवाजी की मूर्ति खंडित कर हटा दी जाती है। मध्य प्रदेश में भी ऐसा कांग्रेस की सरकार के दौरान हुआ। शिवाजी के सम्मान को लेकर कांग्रेस पर सवाल उठने लगे तो मध्य प्रदेश और कर्नाटक की घटनाओं पर इन्हें जवाब देना भारी पड़ जायेगा।
नेताओं को बयान देने से पहले सोचना चाहिए
नीतेश राणे ने अहमदनगर में महंत रामगिरी महाराज के समर्थन में कथित तौर पर कहा था कि उनके बारे में कोई कुछ बोलेगा तो मस्जिद में घुसकर चुन-चुन कर मारेंगे। इस बयान पर संजय निरूपम ने कहा कि महाराष्ट्र में किसी धर्म को लेकर नफरत की राजनीति या बयान बाजी नहीं करना चाहिए, जिससे कोई आहत हो। महायुति के एक सहयोगी होने के नाते हमें लगता है कि नेताओं को अपने बयान देने से पहले सोचना चाहिए। इस तरह से बयान से राज्य का माहौल खराब हो सकता है। जो नेता इस तरह के भड़काऊ बयान देते है, उन पर कानून के तहत करवाई होनी चाहिए और वो हो भी रही है।
महायुति को नुकसान पहुंचाने वाले बयान से बचें
महाराष्ट्र में कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव है। ऐसे में मेरी महायुति के नेताओं या वक्ताओं से अपील है कि वो बिना सोचे महायुति के नेताओं या सहयोगी पर बयानबाजी न करें, जिससे विपक्ष को फायदा मिले। महायुति के नेताओं को अगर बयान देना है तो दायरे में रहकर महाविकास अघाड़ी नेताओं पर दें। कोंग्रेस या उद्धव गुट नेताओं पर बयान दें। जिन बयानों से महायुति को चुनाव में नुकसान हो सकता है। ऐसे बयान से बचना चाहिए। चाहे वो जिस भी पार्टी का हो।