Friday, November 22, 2024
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Sameer Wankhede Nikah: काजी बोले गैर मुस्लिम की नहीं कराते शादी, पूरे परिवार को समझते थे मुसलमान

काजी मुजम्मिल अहमद ने स्वीकार किया कि निकाहनामे में उर्दू भाषा में किए गए हस्ताक्षर उन्हीं के हैं। काजी मुजम्मिल अहमद ने कहा कि समीर वानखेड़े झूठ बोल रहे हैं। शरीयत के हिसाब से गैर मुस्लिम व्यक्ति शादी ही नहीं कर सकता।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 27, 2021 16:00 IST

मुंबई. NCB अधिकारी समीर वानखेड़े से जुड़ा विवाद और भी ज्यादा बढ़ता जा रहा है। NCP नेता नवाब मलिक के ट्वीट के बाद मुजम्मिल अहमद नाम के काजी ने दावा किया है कि उन्होंने ही साल 2006 में समीर दाऊद वानखेड़े का निकाह पढ़वाया था। काजी मुजम्मिल अहमद ने इंडिया टीवी से बातचीत में कहा कि साल 2006 में निकाह के वक्त वानखेड़े मुसलमान थे, वो किसी भी गैर मुस्लिम का निकाह नहीं करवाते।

काजी मुजम्मिल अहमद ने स्वीकार किया कि निकाहनामे में उर्दू भाषा में किए गए हस्ताक्षर उन्हीं के हैं। काजी मुजम्मिल अहमद ने कहा कि समीर वानखेड़े झूठ बोल रहे हैं। शरीयत के हिसाब से गैर मुस्लिम व्यक्ति शादी ही नहीं कर सकता। जब वो उनके पास आए थे तो उन्होंने अपना नाम मुसलमान बताया था और अपने बाप का नाम भी मुसलमान बताया था। इसीलिए निकाह हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अगर वो नाम हिंदू नाम बताते तो न निकाह होता और न शादी होती। सभी लोग समीर को मुसलमान समझते थे। वो गलत कहते हैं कि वो जन्म से हिंदू थे। वो हमारे यहां मुस्लिम नाम से ही आए थे। भले वो हिंदू थे लेकिन अगर उन्होंने अपने पिता का नाम यहां दाऊद न लिखवाया होता तो ये निकाह नहीं होता। अगर कोई मुस्लिम होगा तभी हम निकाह पढ़वाएंगे। 

मुजम्मिल अहमद ने कहा कि निकाह के वक्त जब लड़की और लड़का दोनों मुसलमान होते हैं तभी निकाह पढ़वाया जाता है। हजारों आदमी दावत में आए थे, इनके परिवार को सब लोग मुसलमान समझते थे। हमको यही मालूम था कि सब मुसलमान थे। अगर वो मुस्लिम नहीं होते तो हमारे दीन में निकाह ही नहीं होता। निकाह पर गवाहों के साइन सही हैं, ये सब लोग वहां मौजूद थे। काजी मुजम्मिल अहमद ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट की बात वो गलत कह रहे हैं। अगर हमें पता होता तो हम निकाह ही नहीं पढ़वाते। हमें यही पता था कि सब लोग मुसलमान हैं, एक मुसलमान की हैसियत से ही उनका विवाह करवाया गया था। 

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