RSS News: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के अखिल भारतीय प्रतिनिधि इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने नागपुर में बाल स्वयंसेवकों के विजयादशमी उत्सव में कहा कि नेताओं को संघ से फोबिया हो गया है इसलिए संघ के नाम पर गाली गलौज करते हैं। भगवान ऐसेनेताओं और पार्टियों को सद्बुद्धि दे। उन्होंने शस्त्र पूजन के पीछे मकसद देश के विभागजन को रोकना बताया। साथ ही उन्होंने यह भी ऐलान किया कि आनेवाले समय में संघ विश्वविद्यालय भी खोलेगा।
शस्त्र पूजा का महत्व
इंद्रेश कुमार ने कहा कि विजयदशमी को शस्त्र पूजा इसलिए होती है कि देश का विभाजन ना हो ,नारी पीड़ित न हो। उन्होंने कहा कि 97 वर्ष पूर्व इसी नागपुर में राष्ट्रीयता और मानवता से ओतप्रोत गंगा अवतरित हुई थी, जिसे इतिहास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम से जानता है और मानता है। इस कार्यक्रम में शस्त्र पूजा हुई थी। यह पूजा इसलिए की गई थी ताकि देश विभाजित ना हो ,सज्जन लोगों को कोई पीड़ित ना कर सके ,नारी का शोषण ना हो ,भारत दंगा मुक्त हो, दुनिया युद्ध से मुक्त हो, आपस में शांति और सद्भाव से रहे, इसलिए चरित्र निर्माण के लिए शस्त्र पूजा की जाती है। दूसरा जो ज्ञान है उसका संरक्षण हो।
5 से 6 स्वयंसेवकों के साथ हुई थी शुरुआत
संघ के अखिल भारतीय प्रतिनिधि ,मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अखिल भारतीय मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने कि 96 वर्ष पहले 5 से 6 स्वयं सेवकों को लेकर आर एस एस शुरू हुआ। उस वक्त बहुत कम लोग संघ के साथ थे। लेकिन 1937 में ब्रिटिश हुकुमत को लगा कि आरएसएस उनके लिए चुनौती है। स्वयंसेवक उनकी सत्ता को उखाड़ फेंकेंगे इसलिए उसने प्रतिबंध लगाया। 1948 में महात्मा गांधी की हत्या का झूठा आरोप लगाकर आर एस एस प्रतिबंध लगाया गया। सरकार विफल हो गई और वह साबित नहीं कर पाई कि बापू की हत्या में संघ का नाम या हाथ है। जो नेता इस तरह की बात बोलते हैं वह झूठ बोलते हैं। उन नेताओं को झूठ बोलने की आदत है और उनको फोबिया भी हो गया है संघ के नाम पर गाली गलौज करने का। भगवान ऐसे नेताओं और पार्टियों को सद्बुद्धि दे।
विश्वविद्यालय भी खोलेगा आरएसएस
इंद्रेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि आरएसएस आने वाले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय भी खोल लेगा । उन्होंने कहा लाखों की तादाद में स्वयंसेवक और करोड़ों समर्थक हैं। उन्होंने बताया कि आज लगभग 40 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं संघ से जुड़ी हैं। डेढ़ लाख से अधिक सेवा कार्य करने के चल रहे हैं और 25 हजार से ज्यादा शिक्षा संस्थाएं हैं,100 से ज्यादा महाविद्यालय है और हो सकता कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय भी बन जाए। डेढ़ लाख के आसपास एकल विद्यालय हैं।
यहां हर जाति का होता है सम्मान
उन्होंने कहा कि संघ का काम और इसका कार्यक्रम छुआछूत मुक्त है। यहां हर जाति का सम्मान होता है। छुआछूत अधर्म भी है, पाप भी है और अपराध भी है। स्वयंसेवक हर जाति में से है, इसलिए धर्मांतरण नहीं, धर्मों का सम्मान हो, जो धर्मांतरण करते हैं वह अमानवीय है और ऐसे लोग असंवैधानिक काम करते हैं,। संघ के बारे में लोग कहते हैं संघ जोड़ता है। हर व्यक्ति को सस्ती शिक्षा मिले, अच्छी शिक्षा महंगी नहीं होनी चाहिए, शिक्षा संस्कार युक्त होनी चाहिए, साथ ही अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सुविधा भी मिलनी चाहिए।