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Raj Thackeray's dig at Uddhav: उद्धव के इस्तीफे के बाद राज ठाकरे का तीखा तंज, इशारों में कह दी ये बड़ी बात

महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत से न केवल 31 महीने पुरानी महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार गिर गई और उद्धव ठाकरे को सत्ता छोड़नी पड़ गई, बल्कि शिवसेना पर उनके प्रभाव और उनके नेतृत्व वाले राजनीतिक दल के अस्तित्व को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

Written By: Khushbu Rawal
Updated on: June 30, 2022 19:00 IST
Raj Thackeray- India TV Hindi
Image Source : PTI Raj Thackeray

Highlights

  • जानकारों के अनुसार, शिवसेना की विचारधारा कमजोर पड़ गई है
  • उद्धव को उनकी कट्टर हिंदुत्व की पहचान फिर से पाने में मुश्किलें आएंगी
  • उद्धव के सामने पार्टी में नई जान फूंकना, कार्यकर्ताओं में विश्वास पैदा करना चुनौती

Raj Thackeray's dig at Uddhav: उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद गुरुवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने उन पर निशाना साधा। हालांकि, राज ने उद्धव का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया। राज ठाकरे ने ट्वीट कर कहा, ‘‘जब कोई सौभाग्य को अपनी सिद्धि समझ लेता है, तब वहीं से पतन की ओर यात्रा शुरू होती है।’’ शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे की अगुवाई में कई विधायकों की बगावत के चलते उद्धव ठाकरे को पद से इस्तीफा देना पड़ा। राज ठाकरे ने पिछले महीने लाउडस्पीकर के मुद्दे को लेकर उद्धव ठाकरे से कहा था कि वह (उद्धव) इस मुद्दे पर उनके धैर्य की परीक्षा नहीं लें। राज ठाकरे ने यह भी कहा था कि सत्ता स्थायी नहीं होती।

बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत से न केवल 31 महीने पुरानी महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार गिर गई और उद्धव ठाकरे को सत्ता छोड़नी पड़ गई, बल्कि शिवसेना पर उनके प्रभाव और उनके नेतृत्व वाले राजनीतिक दल के अस्तित्व को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। शिवसेना पर आरोप लग रहे हैं कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस से गठबंधन करके उसने अपनी कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा को छोड़ दिया था। ठाकरे ने बुधवार रात को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और सप्ताह भर से चल रहा नाटकीय घटनाक्रम पटाक्षेप की ओर है जिसमें राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी के खिलाफ विद्रोह की आवाज उठाई थी और बड़ी संख्या में विधायक उनके खेमे में चले गए थे।

ठाकरे के सामने ये हैं चुनौतियां-

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अब ठाकरे के सामने कई चुनौतियां हैं। इनमें पार्टी पर नियंत्रण कायम रखने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ना और बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत को बचाना, पार्टी में नई जान फूंकना और कार्यकर्ताओं में विश्वास पैदा करना आदि हैं। जानकारों के अनुसार, ‘‘शिवसेना की विचारधारा कमजोर पड़ गई है और ठाकरे को उनकी कट्टर हिंदुत्व की पहचान फिर से पाने में मुश्किलें आएंगी। अगर वह अभी इस ओर ध्यान नहीं देते तो एकनाथ शिंदे के ये आरोप सच साबित हो जाएंगे कि ठाकरे ने हिंदुत्व के रास्ते को छोड़ दिया है।’’

राजनीतिक पंडितों की मानें तो ठाकरे के लिए नरम हिंदुत्व की बात करना कारगर नहीं होगा। उनका यह भी कहना है कि अगर शिंदे निर्वाचन आयोग में जाते हैं तो शिवसेना के चुनाव चिह्न ‘तीर कमान’ के प्रयोग पर रोक लगाई जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना आगामी स्थानीय निकाय चुनाव नए चुनाव चिह्न पर कैसे लड़ेगी जिसमें बृहन्मुंबई महानगर पालिका का महत्वपूर्ण चुनाव भी है।’’ हालांकि ठाकरे के करीबी और निष्ठावान लोगों को लगता है कि बागी खेमा पार्टी और उसके चुनाव चिह्न पर दावा नहीं कर सकता क्योंकि मूल राजनीतिक दल अभी अस्तित्व में है।

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