Saturday, November 02, 2024
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राज ठाकरे के प्रखर हिंदुत्ववादी रूप से MNS में उठे बगावती सुर, कई मुस्लिम नेताओं ने छोड़ी पार्टी

राज ठाकरे की इस नयी राजनीति से पार्टी के मुस्लिम नेता अब बिदकने लगे हैं। पिछले 10 दिन में 50 से ज्यादा मुस्लिम पदाधिकारियों ने राज ठाकरे का साथ छोड़ दिया है।

Written by: Jayprakash Singh @jayprakashindia
Published on: April 15, 2022 13:00 IST
Raj Thackeray, MNS Chief- India TV Hindi
Image Source : PTI Raj Thackeray, MNS Chief

मुंबई : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे के लगातार मस्जिद के बाहर हनुमान चालीसा पाठ करने और लाउडस्पीकर हटाने की मांग पर उनकी पार्टी के अंदर से बगावत के सुर उठने लगे हैं। कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। राज ठाकरे की इस नयी राजनीति से पार्टी के मुस्लिम नेता अब बिदकने लगे हैं। पिछले 10 दिन में 50 से ज्यादा मुस्लिम पदाधिकारियों ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और राज ठाकरे का साथ छोड़ दिया है। मुम्बई और मराठवाड़ा इलाके से 35 कार्यकर्ताओं और नेताओं ने पार्टी पद से इस्तीफा दे दिया। 

कट्टर हिंदुत्ववादी दल के रूप में MNS को जिंदा करने में जुटे

राज ठाकरे ने 2008 में शिवसेना से अलग होकर अपनी नई विचारधारा के साथ अपनी नई पार्टी मनसे का गठन किया था। लेकिन  राज ठाकरे अब अपने ही पार्टी के लोगो के बीच अलग थलग पड़ते जा रहे हैं। पिछले 14 वर्षों से बौद्ध दलित,मुस्लिम और हिन्दू नेताओं के प्रेरक के रूप में उभरे बालासाहेब ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे की विचारधारा अब पूरी तरह से हिंदुत्व पर आकर टिक गई है। एक तरफ जहां कट्टर हिंदूवादी पार्टी का तमगा लेकर पिछले 5 दशकों से ज्यादा समय तक मुम्बई और महाराष्ट्र में अपनी धमक जमा चुकी शिवसेना पार्टी 2019 में विपरीत विचारधारा के दो दल कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर महाराष्ट्र में सरकार चला रही है वही अब तक मुस्लिम ,दलित और हिन्दू इन तीन विचारधारा के लोगों को साथ लेकर अपनी राजनीति कर रहे राज ठाकरे 'राम नवमीट के दिन से 360डिग्री टर्न लेते हुए कट्टर हिंदुत्ववादी दल के रूप में अपनी पार्टी को फिर से जिंदा करने में जुट गए हैं।

कुछ कार्यकर्ताओं में आई नयी जान तो कुछ हुए नाराज

राज ठाकरे के इस नए रूप और कलेवर का जहां उन्हें ये फायदा मिला कि उनके बुझ चुके कार्यकर्ताओ में नई जान आ गई और लगभग गायब हो चुके उनकी पार्टी एमएनएस के नेता एक बार फिर आंदोलन,बयानबाजी,पोस्टरबाजी करते नजर आने लगे हैं।  वहीं इसका नुकसान भी राज ठाकरे को अब उठाना पड़ रहा है। 2008 और 2009 के कई आंदोलन में राज ठाकरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सड़क पर उतरे मुस्लिम पदाधिकारी अब राज ठाकरे का साथ छोड़ते नजर आ रहे हैं।

राम नवमी पर  लाउस्पीकर हटाने और हनुमान चालीसा का बयान दिया

राज ठाकरे ने राम नवमी की शिवाजी पार्क की रैली में अपना अलग रूप दिखाते हुए ये बयान दिया कि 'मस्जिदों पर से लाउड स्पीकर हटाया जाए वरना उनकी पार्टी के कार्यकर्ता खुलेआम मस्जिदों के सामने लाउड स्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा पढ़ेंगे ।' राज ठाकरे के इस बयान के सामने आने के बाद जहां एक तरफ राजनीतिक सरगर्मी महाराष्ट्र में बढ़ गई वहीं उनकी पार्टी के हिन्दू, मराठी कार्यकर्ताओं ने मुम्बई सहित पूरे महाराष्ट्र भर में मस्जिदों के सामने लाउड स्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया। देखते-देखते यह मामला इतना बढ़ गया कि इसमें महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल को पुलिस को आदेश देना पड़ा कि कानून व्यवस्था भंग कर रहे मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। इसके बाद मुम्बई के घाटकोपर,मालाड,अंधेरी,कांदिवली, दादर,माहिम सहित कई इलाकों में पुलिस ने राज ठाकरे की पार्टी के कई कार्यक्रताओं के खिलाफ कानून व्यवस्था भंग करने के मामले में उन्हें हिरासत में लिया। इसके बावजूद मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने का ये विवाद रुका नहीं और बढ़ता गया।

पुणे के एमएनएस शहर अध्यक्ष वसंत मोरे ने की बगावत 

इस बीच राज ठाकरे की पार्टी को पहला झटका तब लगा जब उनकी ही पार्टी के पुणे के शहर अध्यक्ष और नगरसेवक वसंत मोरे ने साफ कह दिया कि वो मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा नहीं पढ़ेंगे क्योंकि उनके ज्यादातर मतदाता मुस्लिम हैं। वसंत मोरे के इस ग़दर के बाद पार्टी ने पुणे शहर अध्यक्ष पद से उन्हें निष्काषित करते हुए मुम्बई हेड ऑफिस तलब किया और पुणे शहर में साईनाथ बाबर नाम के पदाधिकारी को नया शहर अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। हालांकि वसंत मोरे ने मुम्बई आकर राज ठाकरे से मुलाकात की और ये कहा कि वो एमएनएस पार्टी नही छोड़ेंगे, राज ठाकरे ने उन्हें ठाणे की  रैली में भाषण करने का मौका दे दिया।

लाउड स्पीकर हटाने को लेकर 3 मई तक का अल्टीमेटम

राज ठाकरे की लाउड स्पीकर पर ये दूसरी रैली थी। इस रैली में भी राज ठाकरे ने मस्जिद के ऊपर से लाउड स्पीकर हटाने को लेकर 3 मई तक का अल्टीमेटम दे दिया और महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील भी की। राज ठाकरे ने कहा कि वो किसी धर्म के खिलाफ नही हैं लेकिन धर्म के नाम पर जो अति हो रही है उसके खिलाफ हैं।

राज ठाकरे की रैलियों का असर दूसरे राज्यों में भी हुआ

राज ठाकरे की इन 2 रैलियों का असर भी हुआ। कर्नाटक में बीजेपी और कुछ हिंदूवादी संगठनों ने भी मस्जिद के ऊपर से लाउड स्पीकर हटाने की मांग छेड़ दी। वहीं गोवा में हिन्दू जनजागृति समिति ने भी गोवा सरकार और कलेक्टर से मिलकर उन्हें ज्ञापन दिया और मांग की की गोवा में भी मस्जिदो पर से लाउड स्पीकर हटाया जाए। 

पार्टी के झंडे का रंग भी केसरिया हुआ

मामला अब बड़ा होने लगा लेकिन इसी बीच राज ठाकरे की अपनी पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी उनसे नाराज होने लगे हैं। इसमे बड़ी संख्या उन  मुस्लिम कार्यकर्ताओ और पदाधिकारियों की है जो 14 सालों से राज ठाकरे के साथ खड़े थे। राज ठाकरे की पार्टी के झंडे में पहले हरा रंग था जो अब पूरी तरह से केसरिया हो गया है। शिवाजी महाराज के साम्राज्य की छवि भी राज ठाकरे के झंडे में उकेरी गई है।

पार्टी के बड़े चेहरे रिजवान शेख ने भी छोड़ी पार्टी

राज ठाकरे के मस्जिद विरोधी स्वर अब उनके पार्टी के पदाधिकारियों को रास नही आ रहा है यही कारण है कि जहां 14 अप्रैल को एक तरफ राज ठाकरे के भरोसेमंद रिजवान शेख जो महाराष्ट्र में उनकी पार्टी के बड़े मुस्लिम चेहरे थे ने सार्वजनिक रूप से अपना इस्तीफा पार्टी के लेटर हेड पर लिखकर पार्टी छोड़ दी। वहीं 15 अप्रैल को एमएनएस के ट्रांसपोर्ट विंग के 35 पदाधिकारियों ने एमएनएस के लेटर हेड पर सामूहिक इस्तीफा दे दिया। इसमें महाराष्ट्र नवनिर्माण वाहतूक सेना यानी ट्रांसपोर्ट विंग के महाराष्ट्र राज्य के महासचिव फिरोज खान शामिल हैं तो वहीं लातूर,नांदेड़, मुम्बई,औरंगाबाद,बुलढाणा,यवतमाल,मुम्बई,सहित महाराष्ट्र भर के 35 मुस्लिम पदाधिकारियों ने राज ठाकरे का साथ छोड़ दिया।

सिलसिला अभी लंबा चलेगा 

यह सिलसिला अभी लंबा चलेगा क्योंकि राज ठाकरे मस्जिद से लाउड स्पीकर पूरी तरह न हटने तक झुकने को या रुकने को तैयार नहीं वहीं मुस्लिम उलेमा, मौलाना, मुफ़्ती भी साफ कह रहे हैं कि वो कोर्ट के आदेश के अनुसार आवाज कम करके अजान देंगे लेकिन लाउड स्पीकर नहीं हटाएंगे।

राज ठाकरे बीजेपी की 'बी' टीम-शिवसेना

वहीं दूसरी तरफ शिवसेना,एनसीपी और कांग्रेस अब राज ठाकरे के इस नए हिंदुत्ववाद के चेहरे को बीजेपी की साजिश बताते हुए राज ठाकरे को बीजेपी की बी टीम बताने लगी है। महाविकास अघाड़ी के तीनों घटक दलों का साफ आरोप है कि बुझ चुकी एमएनएस को बीजेपी ने खाद-पानी डालकर और हिंदुत्व का मुद्दा थमाकर अपने फायदे के लिए जिंदा किया है, और राज ठाकरे बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं। जो भी हो लेकिन अब मस्जिद से लाउड स्पीकर हटाने का यह मामला काफी गरमा गया है जिसमें कई मंदिर प्रशासन भी राज ठाकरे के समर्थन में आते दिखाई देने लगे हैं। आने वाले कुछ महीनों में मुम्बई सहित महाराष्ट्र भर में 10 शहरों में महानगरपालिका का चुनाव है, साथ ही नगरपालिका और स्वराज संस्थाओं के चुनाव हैं और इन चुनावों के पहले राज्य में मस्जिद मंदिर और लाउड स्पीकर की राजनीति अब अपने चरम पर आ चुकी है।

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