Wednesday, October 23, 2024
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पुणे पोर्श कांड: CCTV में रिश्वत लेते दिखा अस्पताल का कर्मचारी, नाबालिग के पिता ने बदलवाया था ब्लड सैंपल

ससून अस्पताल में आरोपी नाबालिग के ब्लड सैंपल बदल दिए गए थे ताकि यह दिखाया जा सके कि उस समय वह नशे में नहीं था। इस मामले में मकानदार और घाटकांबले दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: June 13, 2024 6:54 IST
pune porsche car accident- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO पुणे पोर्श कार दुर्घटना

महाराष्ट्र में पुणे पुलिस को सीसीटीवी फुटेज मिली है, जिसमें ससून जनरल अस्पताल का एक कर्मचारी कथित तौर पर रिश्वत लेते हुए दिखाई दे रहा है। इस कर्मचारी पर पोर्श कार दुर्घटना में शामिल किशोर चालक के ब्लड के सैंपल बदलने की साजिश का हिस्सा होने का आरोप है। इस दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी। अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि येरवडा इलाके में रिकॉर्ड की गई फुटेज में बिचौलिया अश्पक मकानदार को अस्पताल कर्मचारी अतुल घाटकांबले को पैसे देते हुए दिखाया गया है।

नाबालिग के पिता ने दी थी 3 लाख की घूस

बिल्डर विशाल अग्रवाल के 17 वर्षीय बेटे द्वारा कथित तौर पर चलाई जा रही पोर्श कार ने 19 मई को तड़के कल्याणी नगर में एक बाइक को टक्कर मार दी थी जिसपर सवार आईटी पेशेवर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी। वे मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। पुलिस के मुताबिक, किशोर शराब के नशे में गाड़ी चला रहा था। यह घटना येरवडा थाना क्षेत्र के तहत आने वाले इलाके में हुई थी। आरोप है कि ससून अस्पताल में किशोर के रक्त के नमूने बदल दिए गए ताकि यह दिखाया जा सके कि उस समय वह नशे में नहीं था। इस मामले में मकानदार और घाटकांबले दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

पुलिस ने दावा किया है कि बिल्डर विशाल अग्रवाल द्वारा दिए गए तीन लाख रुपये में से सह-आरोपी डॉ. श्रीहरि हल्नोर ने 2.5 लाख रुपये लिए, जबकि घाटकांबले को 50,000 रुपये मिले। पुलिस ने डॉ. हल्नोर और घाटकांबले से पैसे बरामद करने का दावा किया था।

नाबालिग आरोपी की हिरासत 25 जून तक के लिए बढ़ाई गई

किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने 17 वर्षीय किशोर की निगरानी गृह हिरासत बुधवार को 25 जून तक के लिए बढ़ा दी। इससे पहले पुलिस ने बोर्ड के समक्ष दलील दी थी कि उसकी अब भी काउंसलिंग की जा रही है और मामले की जांच जारी है। पुणे पुलिस ने अभियोजकों के माध्यम से किशोर की सुरक्षा का हवाला देते हुए उसे 14 दिन के लिए निगरानी गृह में रखने का अनुरोध किया। वह 12 जून तक निगरानी गृह में था। उन्होंने बोर्ड को यह भी बताया कि फिलहाल किशोर की रिहाई से मामले की जांच तथा अन्य संबंधित मामलों में बाधा उत्पन्न हो सकती है। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, अभियोजकों ने अपनी हिरासत बढ़ाने की याचिका में जेजेबी को बताया कि किशोर की अब भी मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की जा रही है और उसे निगरानी गृह में ही रखने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि वे मुकदमे के लिए किशोर को वयस्क के तौर पर मानना चाहते हैं और इस संबंध में औपचारिकताएं पूरी करने के लिए उसे आगे हिरासत में रखने की जरूरत है। अधिकारी ने बताया कि बोर्ड ने पुलिस से किशोर का संरक्षण उसके रिश्तेदारों को सौंपने की बचाव पक्ष की याचिका पर अपना पक्ष रखने को कहा है, क्योंकि उसके माता-पिता दुर्घटना से संबंधित अलग-अलग आरोपों में पुलिस की हिरासत में हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद किशोर न्याय बोर्ड ने किशोर के निगरानी गृह में रहने की समयावधि 25 जून तक बढ़ा दी। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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