कुछ ही दिनों पहले महाराष्ट्र के पुणे में शराब के नशे में एक नाबालिग अपनी महंगी कार से दो लोगों की जान ले ली थी। 25 जून को बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे पोर्श एक्सीडेंट मामले में नाबालिग आरोपी को बाल सुधार ग्रह से रिहा करने का आदेश दिया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के फैसले को पलटते हुए यह माना था कि नाबालिग आरोपी को कैद में रखना गैरकानूनी है। इसलिए कोर्ट द्वारा उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया गया। हालांकि, अब पुलिस बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा रही है।
सरकार से मिली मंजूरी
पुणे पुलिस के वरिष्ठ सूत्रों ने बताया है कि बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद पुणे पुलिस ने 26 जून को राज्य सरकार के पास इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए प्रस्ताव रखा गया और अब राज्य सरकार में इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। पुणे पुलिस जल्दी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट चैलेंज करने की तैयारी में है।
क्या है दलील?
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस इस मामले में अलग-अलग ग्राउंड्स पर अपनी याचिका दायर कर सकती है। जिसमें प्रमुख रूप से जेजेबीबी ने अपने फैसले को बदल कर नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह में रखना या गैरकानूनी नहीं, वहीं दूसरा नाबालिग आरोपी का परिवार किन्हीं कारणों से उसका ध्यान नहीं रख सकता आदि शामिल है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
पुणे पोर्श एक्सीडेंट मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने ये फैसला दिया है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की थीं। कोर्ट ने कहा कि जो दुर्घटना हुई वह संवेदनशील थी, लेकिन इसका असर नाबालिग आरोपी के उपर भी पड़ा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग आरोपी को राहत देते हुए आदेश दिया कि नाबालि आरोपी तुरंत रिहा किया जाएगा। उसकी चाची उसके अभिभावक के रूप में भूमिका निभाएंगी।