महाराष्ट्र के पुणे से सटे मावल तहसील की सड़कों पर अब साल 1930 की लोगों की मनपसंद रही विंटेज कार दौड़ते हुए दिखाई दे रही है। इसकी खास बात यह है कि इस विंटेज कार को एक मामूली से मैकेनिक ने कबाड़ी की दुकान में पड़े हुए सामान को जोड़कर बनाया है। बताया जा रहा है कि दिल्ली के सड़कों पर चलने वाली ई-रिक्शा से प्रेरित होकर इस कार का निर्माण किया गया है, जिसे 51 वर्षीय रोहिदास नवगुने नाम के किसान ने बनाया है। रोहिदास शादी के मंडप डेकोरेशन का काम करते हैं, जिसके साथ-साथ वह मैकेनिक के काम में भी रुचि रखते हैं।
सामान जोड़ने में ढाई महीने लगा
मेड इन इंडिया प्रोडक्ट की वजह से उन्होंने कबाड़ी की दुकान से एक-एक पुराना सामान जोड़ा। इसके लिए उन्हें ढाई महीने का वक्त लगा। अपनी इस मेहनत के बाद उन्होंने वैसे ही एक आलीशान विंटेज कार बनाई है, जिसे अंग्रेज 90 साल पहले अपने साथ हिंदुस्तान लाए थे। रोहिदास की बनाई यह कार प्रदूषण रहित है, क्योंकि यह विंटेज कार बैट्री पर चलती है। इस आलीशान कार को बनाने के लिए ढाई से तीन लाख रुपये उन्होंने खर्च किए हैं। इतने सालों के बाद रोहिदास की बनाई यह मनमोहक विंटेज कार जैसे ही सड़क पर दौड़ी वैसे ही उसे देखकर लोगों की नजरें हटने का नाम नहीं लेती।
कार में दो लोग कर सकते हैं सफर
इस आलीशान विंटेज कार में दो लोग आसानी से सफर कर सकते हैं, जिसे चलाने के लिए उन्हें खर्चा भी काफी मामूली सा आ रहा है। इस कार के निर्माण के बाद अब रोहिदास यह चाहते हैं कि मेड इन इंडिया अभियान के तहत अगर सरकार उन्हें कुछ आर्थिक मदद दे, तो वो आने वाले दिनों में ऐसी और भी मनमोहक कार बना सकते हैं, जिसमें चार लोग बड़े आसानी से और कम खर्च में सफर कर सकें। कई सालों के बाद शहर की सड़कों पर इस तरह की विंटेज कार दौड़ने के बाद स्थानीय लोगों के बीच इसे लेकर जोरदार चर्चा हो रही है।
- ज़ैद मेमन की रिपोर्ट