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महाराष्ट्र के फणसाड वन्यजीव अभ्यारण्य में गिद्धों की संख्या बढ़ाने के लिए की जाएगी ‘खाद्य केंद्र’ की स्थापना

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में गिद्धों की आबादी बढ़ाने के उपाय के तौर पर फणसाड वन्यजीव अभयारण्य एक ‘खाद्य केंद्र’ स्थापित करने की प्लानिंग कर रहा है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Published : Sep 15, 2022 18:54 IST, Updated : Sep 15, 2022 18:54 IST
Phansad Wildlife Sanctuary, Phansad Sanctuary, Phansad Sanctuary Food Center
Image Source : PTI Representational Image.

Highlights

  • भारत में गिद्धों की आबादी तेजी से घटी है।
  • गिद्धों की तादाद बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं।
  • अभयारण्य में गिद्धों के ‘भोजन केंद्र’ बनाए जाएंगे।

अलीबाग: दुनिया के तमाम देशों में गिद्धों की गिरती आबादी चिंता का विषय बन गई है। पिछले कुछ सालों में भारत में भी गिद्धों की तादाद तेजी से घटी है और एक समय ऊंचे पेड़ों पर अनायास नजर आ जाने वाले ये विशाल पक्षी अब दुर्लभ होते जा रहे हैं। इस बीच महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में गिद्धों की आबादी को बढ़ाने के मकसद से एक ‘खाद्य केंद्र’ स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है। माना जा रहा है कि इस कदम से गिद्धों की आबादी बढ़ाने में मदद मिलेगी।

7 साल पहले थे 30 से ज्यादा गिद्ध

रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में गिद्धों की आबादी बढ़ाने के उपाय के तौर पर फणसाड वन्यजीव अभयारण्य एक ‘खाद्य केंद्र’ स्थापित करने की प्लानिंग कर रहा है। इस क्षेत्र के वन अधिकारी तुषार कालभोर ने बताया कि मुंबई से करीब 140 किलोमीटर दूर इस अभयारण्य में 7 साल पहले तक 30 से ज्यादा गिद्ध हुआ करते थे, लेकिन खाने की कमी के कारण अब ज्यादातर पक्षी दूसरे इलाकों में पलायन कर गए हैं। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि गिद्ध मुख्य रूप से ‘कैरियन’ यानी कि मरे हुए जानवरों को खाते हैं जो अब मुश्किल से ही मिलते हैं।

Phansad Wildlife Sanctuary, Phansad Sanctuary, Phansad Sanctuary Food Center

Image Source : PIXABAY
Representational Image.

गांव वालों की ली जाएगी मदद
कालभोर ने गैर-लाभकारी संगठन ‘ग्रीन वर्क्स ट्रस्ट’ के साथ मिलकर अभयारण्य द्वारा शुरू की गई गिद्ध संरक्षण परियोजना के हिस्से के रूप में एक ‘खाद्य केंद्र’ स्थापित करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने क्षेत्र की ग्राम पंचायतों को पत्र लिखकर किसी भी मवेशी की मौत की सूचना देने को कहा है। मवेशियों की मौत की सूचना मिलने के बाद ‘ग्रीन वर्क ट्रस्ट’ के सदस्य शव को भोजन केंद्र में लाएंगे, जहां गिद्धों को आकर्षित करने की कोशिश की जाएगी। माना जा रहा है कि एक बार भोजन की प्रचुर मात्रा होने के बाद गिद्ध इस इलाके का रुख जरूर करेंगे।

भारत में क्यों कम हुई गिद्धों की आबादी?
बता दें कि दुनिया में गिद्धों की आबादी तेजी से कम हुई है, लेकिन भारत में तो ये विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए थे। माना जाता है कि भारत के कुल गिद्धों में से 97 से 99 फीसदी तक बीती सदी के 90 के दशक में खत्म हो गए। गिद्धों की संख्या में कमी का मुख्य कारण पशुओं की दवा डाइक्लोफिनॅक को माना गया। इस दवा को खाने वाले पशुओं की मौत के बाद जब गिद्ध उसकी लाश को खाते थे तो उनके गुर्दे काम करना बंद कर देते थे और उनकी मौत हो जाती थी।

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