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श्रमिक ट्रेनों के लिए एक भी मांग लंबित नहीं : महाराष्ट्र सरकार ने अदालत को बताया

महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि प्रवासी श्रमिकों की ओर से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए एक भी मांग लंबित नहीं है तथा अनुरोध होने पर वह इंतजाम करेगी।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 05, 2020 18:31 IST
No pending demands for Shramik trains from migrants: Maha govt- India TV Hindi
Image Source : AP No pending demands for Shramik trains from migrants: Maharashtra govt

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि प्रवासी श्रमिकों की ओर से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए एक भी मांग लंबित नहीं है तथा अनुरोध होने पर वह इंतजाम करेगी। एनजीओ ‘सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस’ ने एक याचिका दायर कर कोविड-19 महामारी के बीच प्रवासी मजदूरों की समस्याओं के प्रति चिंता व्यक्त की थी। इसी याचिका के जवाब में सरकार ने हलफनामा दाखिल किया है। याचिकाकर्ता के मुताबिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों या बसों से महाराष्ट्र से जाने के लिए आवेदन देने वाले प्रवासी मजदूरों को अपने आवेदन की स्थिति के बारे में बताया ही नहीं गया। 

याचिका में यह भी कहा गया कि ट्रेन या बसों से अपने गृह राज्यों में जाने के लिए उन्हें एक जगह जमा होना पड़ता है। ऐसे आश्रय स्थलों में साफ-सफाई की भी व्यवस्था नहीं रहती और खाना-पानी तथा अन्य इंतजामों का भी अभाव रहता है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अमजद सैयद की पीठ के समक्ष शुक्रवार को दाखिल हलफनामे में सरकार ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि राज्य में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को खाना, आश्रय और चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए समुचित व्यवस्था की गयी है। 

आपदा प्रबंधन, राहत और पुनिर्वास विभाग के सचिव किशोर निंबालकर द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया कि एक जून तक महाराष्ट्र से 822 ट्रेनों के जरिए 11,87,150 प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य पहुंचाया गया। हलफनामे में कहा गया, ‘‘श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के संबंध में केवल एक ट्रेन बाकी है जो मणिपुर के लिए रवाना होगी। इसके अलावा राज्य सरकार के पास प्रवासी श्रमिकों की ओर से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम करने के लिए कोई भी अनुरोध लंबित नहीं है। ’’ 

सरकार ने कहा है, ‘‘चूंकि और ट्रेनें भी जा रही है इसलिए प्रवासी मजदूर और अन्य फंसे हुए लोग अपने गृह राज्य जाने के लिए केवल श्रमिक ट्रेनों पर ही आश्रित नहीं है।’’ हलफनामे में कहा गया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का किराया प्रवासी मजदूरों से नहीं लिया गया और सभी ट्रेनों के खर्च को राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री राहत कोष से वहन किया है। 

हलफनामे के मुताबिक, ‘‘राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों और अन्य फंसे हुए लोगों के ट्रेन के किराए के भुगतान के लिए जिलाधिकारियों को 97.69 करोड़ रुपये जारी किया है।’’ हलफनामे के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान 10 अप्रैल तक 5427 राहत शिविर लगाए गए, जहां 6,66,994 प्रवासी मजदूर ठहरे। इसमें कहा गया, ‘‘31 मई तक इन कैंपों में रहने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या घटकर 37,994 रह गयी। संख्या घटने से साफ पता चलता है कि अधिकतर प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्य लौट चुके हैं। ’’ मामले पर अब नौ जून को सुनवाई होगी। 

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