मुंबई: कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीजों की मौत चर्चा के केंद्र में थी। लेकिन, अब महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कि राज्य सरकार ने कोर्ट को भी एफिडेविट दाखिल कर यह जानकारी दी है।
मंत्री राजेश टोपे ने कहा, "ऑक्सीजन की कमी से महाराष्ट्र में किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है। ऐसा एफिडेविट हमने कोर्ट में भी दिया है। यह सच है क्योंकि महाराष्ट्र को जितना ऑक्सीजन चाहिए था, वो 100% ऑक्सीजन उद्योगों से निकालकर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के लिए दिया गया।"
हालांकि, इससे पहले स्थानीय अधिकारियों ने कहा था कि इस साल अप्रैल में नासिक में एक ऑक्सीजन भंडारण संयंत्र में रिसाव के कारण एक अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हुई थी जिससे 22 मरीजों की मौत हो गई थी। उस समय टोपे ने कहा था कि लापरवाही का पता लगाने के लिए इस घटना की जांच की जाएगी।
मंगलवार को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कहा था कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की मौत नहीं हुई थी। सरकार के इस बयान पर विपक्ष की ओर से तीखी आलोचना की गई थी।
अब राजेश टोपे ने कहा है, “हमने यह कभी नहीं कहा कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की मौत हुई। बहुत से लोग अन्य रोगों से पीड़ित थे। ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की मौत नहीं हुई।”
इससे पहले आज शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से जिनकी मौत हुई उनके परिजनों को केंद्र सरकार को अदालत में ले जाना चाहिए। वहीं, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने अदालत में दावा किया कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई, और केंद्र का जवाब उसी पर आधारित है।