मुंबई: मुंबई की एक विशेष अदालत ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के निकट मिले विस्फोटकों से लदे एक वाहन और उसके बाद कारोबारी मनसुख हिरन की हत्या के मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को आरोप पत्र दायर करने के लिए बुधवार को 60 दिन का और समय दिया। आरोप पत्र दायर करने की समय सीमा 10 जून को समाप्त होनी थी। तेरह मार्च को गिरफ्तार किये गये पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाजे इस मामले में मुख्य आरोपी हैं।
वाजे के अलावा तीन अन्य पूर्व पुलिसकर्मी- रियाजुद्दीन काजी, सुनील माने, विनायक शिंदे और एक सट्टेबाज नरेश गौर भी मामले में आरोपी है। गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत, जांच एजेंसी आरोप पत्र दायर करने के लिए आरोपी की गिरफ्तारी के दिन से कुल 180 दिनों तक का समय मांग सकती है। एनआईए ने आरोप पत्र दायर करने के लिए 90 दिनों का और समय दिये जाने के अनुरोध को लेकर विशेष अदालत का रुख किया था।
एजेंसी ने कहा था कि सभी आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए और समय की जरूरत है। एनआईए ने अपनी याचिका में कहा कि राज्य में कोरोना वायरस के कारण लगे प्रतिबंधों के कारण दस्तावेजी साक्ष्य एकत्र करने के लिए गवाह उपलब्ध नहीं थे। एनआईए ने याचिका में कहा कि जैश-उल-हिंद की संलिप्तता और रुपये की उसकी मांग की गहन जांच की जरूरत है।
एनआईए की याचिका का आरोपियों के वकीलों ने यह कहते हुए विरोध किया कि उन पर यूएपीए के प्रावधान लागू नहीं हैं। वाजे की ओर से पेश हुए, सुदीप पसबोला ने दलील दी की कि जिलेटिन की छड़ों में एक डेटोनेटर के बिना विस्फोट नहीं हो सकता, इसलिए समाज के लिए कोई खतरा नहीं था। उन्होंने कहा कि सभी चीजें पहले ही बरामद कर ली गई हैं और जांच के लिए कुछ भी नहीं बचा है।
उन्होंने कहा कि आरोप पत्र दाखिल करने की अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन में कोई विशेष कारण नहीं बताया गया है इसलिए आवेदन को खारिज किया जाना चाहिए। हालांकि, सभी पक्षों को सुनने के बाद विशेष अदालत के न्यायाधीश पी आर सितरे ने एनआईए को आरोप पत्र दायर करने के लिए और 60 दिन का और समय दे दिया।
गौरतलब है कि दक्षिण मुंबई में अंबानी के बहुमंजिला आवास ‘एंटीलिया’ के नजदीक 25 फरवरी को एक कार में जिलेटिन की छड़ें मिली थीं। मनसुख हिरन ने तब दावा किया था कि यह कार एक सप्ताह पहले चोरी की गयी थी और उस समय उनके पास थी। बाद में हिरन पांच मार्च को ठाणे के एक क्रीक में मृत मिले थे।