Saturday, November 02, 2024
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जिसका प्रोटेम स्पीकर उसके हाथ सत्ता की चाबी ? ऐसे तय होगा एनसीपी का भविष्य

विधानसभा में अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए प्रोटेम स्पीकर का पद बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। एक तरह से सत्ता की चाबी प्रोटेम स्पीकर के पास होगी।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 26, 2019 11:39 IST
Maharashtra Assembly- India TV Hindi
Maharashtra Assembly

महाराष्ट्र में सत्ता की लड़ाई के फाइनल की तारीख आज सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में कल शाम 5 बजे तक बहुमत साबित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इसके लिए प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करने का आदेश दिया है। प्रोटेम स्पीकर ही विधानसभा में विधायकों को शपथ दिलाएगा और फ्लोर टेस्ट का संचालन करेगा। ऐसे में अब यह सबसे महत्वपूर्ण यह है कि किसे प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। 

विधानसभा में अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए प्रोटेम स्पीकर का पद बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। एक तरह से सत्ता की चाबी प्रोटेम स्पीकर के पास होगी। अगर प्रोटेम स्पीकर बीजेपी का बना तो शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के हाथ से सत्ता फिसल सकती है। क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा में विधायक दल का नेता कौन है यह प्रोटेम स्पीकर ही तय करेगा। प्रोटेम स्पीकर ही तय करेगा की एनसीपी विधायक दल के नेता अजीत पवार हैं या फिर जयंत पाटिल। प्रोटेम स्पीकर को तय करना है कि एनसीपी के विधायक दल का नेता वो किसे मानते हैं और फ्लोर टेस्ट में व्हिप जारी करने का अधिकार किसके पास है। इसके अलावा यदि पक्ष और विपक्ष के बीच मामला टाई हो जाता है तो प्रोटेम स्पीकर को अपना वोट देने का अधिकार है। 

ऐसे भाजपा को हो सकता है फायदा 

प्रोटेम स्पीकर ने अगर अजीत पवार को व्हिप का अधिकार दिया तो समीकरण बदल सकता है। अजीत पवार बीजेपी के समर्थन में विधायकों को वोट देने के लिए व्हिप जारी करेंगे। ऐसी स्थिति में शरद पवार के समर्थन वाले 51 विधायक बीजेपी के खिलाफ वोट करेंगे। यदि विधायक व्हिप नहीं मानते तो वोटिंग को अमान्य करार दिया जाए या फिर मान्य इसका अधिकार स्पीकर के पास है। अगर वोट अमान्य हुए तो ऐसे में विधायकों की संख्या 288 से घटकर 237 रह जाएगा। फिर बहुमत का आंकड़ा 119 हो जाएगा। लेकिन यदि दो-तिहाई विधायक टूट जाते हैं तो दल-बदल कानून के तहत अजित पवार के व्हिप का कोई महत्व नहीं है।

कौन कौन है दौड़ में 

कांग्रेस ने वरिष्ठता के आधार पर बाला साहेब थोराट का नाम आगे बढ़ाया है. बीजेपी की तरफ से बबनराव पाचपुते और कालिदास कोलंबकर के नाम की चर्चा है। दरअसल सबसे सीनियर एमएलए को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है।राज्यपाल ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं हैं, ये उनके विवेक पर है। किसी एक नाम पर सहमति न बनें तो सबसे बड़े दल का सुझाया नाम भी प्रोटेम स्पीकर बन सकता है।

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