मुंबई। महाराष्ट्र में चुनाव परिणाम आए 1 महीना हो गया है, लेकिन सत्ता किसे मिलेगी, यह अभी तक तय नहीं हो पाया है। हालांकि बहुमत की चिटठी मिलने के बाद राज्यपाल ने शनिवार तड़के फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी, वहीं महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के तौर पर अजीत पवार ने शपथ ली थी। लेकिन शपथ लेने वाले राकांपा नेता अजित पवार अभी भी पार्टी के विधायक दल के नेता हैं या नहीं, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है और इस संबंध में विधानसभा अधिकारियों एवं संविधान विशेषज्ञों ने भी अलग अलग राय जाहिर की है।
प्रदेश विधानसभा के प्रभारी सचिव राजेंद्र भागवत ने मंगलवार को बताया कि यह निर्णय करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को है कि क्या जयंत पाटिल को राकांपा के विधायक दल का नया नेता माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘राकांपा से उनके नये नेता के बारे में हमें एक पत्र प्राप्त हुआ है लेकिन विधानसभा अध्यक्ष (हरिभाऊ बागडे) इस पर निर्णय करेंगे ।’’ विधान भवन के एक सूत्र ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने अबतक अजित पवार को हटा कर जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता बनाये जाने के राकांपा के निर्णय को स्वीकार नहीं किया है। पिछले हफ्ते पार्टी से बगावत कर अजित पवार द्वारा प्रदेश में सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने के बाद राकांपा ने उन्हें विधायक दल के नेता पद से हटा दिया था और इस पद के सभी अधिकार जयंत पाटिल को सौंप दिए थे।
भाजपा नेता बागड़े विधानसभा के पिछले कार्यकाल में 2014 से 19 तक सदन के अध्यक्ष रह चुके हैं । वह अब भी विधानसभा के अध्यक्ष हैं, हालांकि किसी विधायक ने अब तक शपथ नहीं ली है। मुंबई भाजपा के पूर्व प्रमुख आशीष शेलार ने कहा कि नयी विधानसभा अभी शुरू नहीं हुई है इसलिए ‘‘अजित पवार राकांपा के विधायक दल के नेता हैं और सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने का उनका निर्णय सर्वोच्च माना जाना चाहिए ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता है ।’’
हालांकि, संविधान विशेषज्ञ उल्हास बापट ने कहा कि अगर राकांपा ने अजीत पवार को हटा कर जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता नियुक्त किया है तो पाटिल को ही विधानसभा में राकांपा विधायक दल का नेता समझा जाना चाहिए । बापट ने कहा कि यह सच है कि विधानसभा अध्यक्ष के पास विवेकाधीन शक्तियां हैं लेकिन वह (बागड़े) अजित पवार को हटा कर जयंत पाटिल को सदन में विधायक दल का नेता नियुक्त किए जाने के पार्टी के फैसले की अनदेखी नहीं कर सकते हैं । उन्होंने कहा, ‘‘जब संविधान तैयार किया जा रहा था, तो उसमें इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया कि पार्टी को एक व्यक्ति के हित से अधिक महत्वपूर्ण समझा जाना चाहिए । इसलिए, प्रदेश में भाजपा की सरकार को समर्थन दिये जाने के मामले में अगर राकांपा की राय अजित पवार से अलग है तो पार्टी का निर्णय सर्वोच्च होगा ।’’