करीब 68 घंटे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहने के बाद कल दोपहर भले ही देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया हो, लेकिन अजित पवार की ओर से मिले एनसीपी के समर्थन का रहस्य अभी भी न तो भाजपा और न ही फडणवीस का पीछा छोड़ रहा है। प्रश्न यही है कि क्या एनसीपी से समर्थन लेना बीजेपी की गलती थी। आज विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ लेकर बाहर निकले पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से पत्रकारों ने यही सवाल पूछा तो वे इस सवाल से कन्नी काटते नजर आए। उन्होंने सिर्फ इतना जवाब दिया कि समय आने पर ही इस बारे में कुछ बोलूंगा।
कल भी जब देवेंद्र फडणवीस की इस्तीफ़े वाली प्रेस कांफ्रेंस में उनसे एक पत्रकार ने पूछा कि क्या अजित पवार ने बीजेपी के साथ कोई गेम किया है, इसके जवाब में देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इसका जवाब अजित पवार से पूछिए। जनता जानती है ये बयान इतना आसान नहीं है। बीजेपी को ये समझने में इतनी देर क्यों लगी कि विधायक अजित पवार के साथ नहीं हैं।
मंगलवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अचानक कहानी बदल दी। इस फैसले के बाद अजित पवार अकेले पड़ गए। अजित पवार के पास एनसीपी के विधायकों से न बात करने का वक्त था न अपने पाले में लाने का। महाराष्ट्र के महा पोलिटिकल ड्रामे में पवार परिवार ने अपने-अपने पावर का खूब परिचय दिया।