नागपुर जिला मध्यवर्ती बैंक घोटाले में पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक सुनील केदार को बड़ा झटका लगा है। जिला और सत्र न्यायालय ने केदार को इस घोटाले में मुख्य अभियुक्त मानते हुए दोषी करार दिया है। कांग्रेस विधायक के साथ ही इस बैंक घोटाले में पांच अन्य भी दोषी साबित हुए हैं। वहीं तीन आरोपियों को अदालत ने सबूत ना होने के आधार पर बरी कर दिया है। बता दें कि ये पूरा घोटाला 152 करोड़ का था और पिछले 20 साल से अदालत में चल रहा था। इस मामसे में अब कांग्रेस विधायक सुनील केदार दोषी करार दिए गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, साल 2002 में नागपुर जिला मध्यवर्ती बैंक में 152 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला सामने आया था। तब सुनील केदार बैंक के चेयरमैन थे। वह इस मामले में मुख्य आरोपी भी थे। उस वक्त मुंबई, कोलकाता और अहमदाबाद की कुछ कंपनियों ने बैंक फंड से 125 करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्ड खरीदे थे। इसके बाद इन कंपनियों ने सरकारी बांड का भुगतान नहीं किया और बैंक को पैसा भी नहीं लौटाया। राज्य अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के तत्कालीन उपाधीक्षक किशोर बेले इस घोटाले के जांच अधिकारी थे। जांच पूरी होने के बाद 22 नवंबर 2002 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। यह मामला तब से लंबित था।
सेंचुरी डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड, सिंडिकेट मैनेजमेंट सर्विसेज और गिल्टेज मैनेजमेंट सर्विसेज की मदद से नागपुर जिला मध्यवर्ती बैंक के फंड से इन लोगों ने सरकारी बांड (शेयर) खरीदे। लेकिन बाद में बैंक को इन कंपनियों से खरीदी गई नकदी कभी नहीं लौटाई गई। बांड खरीदने वाली ये सभी निजी कंपनियां दिवालिया घोषित कर दी गईं।
कोर्ट ने इन लोगों को दिया दोषी करार-
- सुनील केदार, (तत्कालीन बैंक अध्यक्ष)
- अशोक चौधरी (तत्कालीन बैंक प्रबंधक)
- केतन सेठ (मुख्य बांड दलाल)
- सुबोध गुंडारे
- नंदकिशोर त्रिवेदी
- अमोल वर्मा
ये लोग हुए बरी-
- श्रीप्रकाश पोद्दार
- सुरेश पेशकर
- महेंद्र अग्रवाल
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