नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर में 1100 बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को त्रिशूल शस्त्र दीक्षा दी गई जिसमें देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा की शपथ दिलाई गई। यह दीक्षा धर्मांतरण, लव जिहाद, गोवंश हत्या और मंदिरों की विडंबना को रोकने के लिए दी गई। यहां बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ मातृशक्ति, दुर्गा वाहिनी का त्रिशूल दीक्षा का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में करीब 1100 युवाओं ने दीक्षा लेकर हिंदू समाज, राष्ट्र रक्षा, हिंदू बहनों की रक्षा करने का संकल्प लिया। त्रिशूल दीक्षा के समय बजरंग दल के कार्यकर्ता, दुर्गा वाहिनी के कार्यकर्ता, मातृशक्ति की कार्यकर्ताओं को त्रिशूल दीक्षा क्यों दी जा रही है वह बताया जाता है।
कैसे दी जाती है त्रिशूल दीक्षा?
दीक्षा लेने वालों को सामूहिक शपथ दिलाई जाती है, साथ ही बजरंग दल के संस्कार के बारे में विस्तार से बताया जाता है। त्रिशूल दीक्षा के दौरान अपने नाम के साथ उच्चारण कराया जाता है कि मैं संकल्प लेता हूं, हिंदू धर्म की रक्षा के लिए, त्रिशूल यह धर्मशस्त्र धारण कर रहा हूं। मैं इसका कहीं भी कभी भी दुरुपयोग नहीं करूंगा। देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा हेतु, धर्मांतरण, गोवंश हत्या, लव जिहाद आदि अधर्म कृत रोकने के लिए कटिबद्ध रहूंगा। हिंदू जाति, जात पात, पंथ, प्रांत, भाषा इन सब से उठकर मैं सच्चा हिंदू हूं, इसका मुझे सदा गर्व है। भगवान के लिए, देवताओं के लिए, धर्म के लिए, अपने देश के लिए, राष्ट्र के लिए पूर्ण रूप से समर्पित होकर श्रद्धा, निष्ठा और दृढ़ता के साथ सद्भाव से सदैव समर्पित होकर कार्य करने का संकल्प लेता हूं।
देखें वीडियो-
क्यों दी जाती है त्रिशूल दीक्षा?
बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, मातृशक्ति को त्रिशूल की दीक्षा दी गई। उन्हें विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्र महामंत्री गोविंद शेडे ने बताया कि उनको त्रिशूल दीक्षा किसलिए दी जा रही है यह जानना जरूरी है। उन्होंने बताया कि धर्म की जय करना है तो अधर्म का नाश करना होगा यह पहली शर्त है। भगवान कृष्ण विश्व हिंदू परिषद के आदर्श हैं। भारत माता के विरुद्ध काम करना अधर्म है, इस देश में गो हत्या करना अधर्म है, लव जिहाद करना अधर्म है, धर्मांतरण करना अधर्म है, मंदिरों का विडंबना करना अधर्म है, संतों का अपमान करना अधर्म है। ऐसे अधर्म के खिलाफ यदि कोई खड़ा होता है तो वह बजरंग दल है। इस बजरंग दल को शक्तिशाली करना है, ताकतवर बनाना है ताकि सभी अधर्म पर विजय प्राप्त करके धर्म की जय की जा सके। बजरंग दल इस देश में विश्वास का नाम है, विश्वास क्या है? घर में बैठी हुई कोई मां निश्चिंत हो कि उसकी बेटी स्कूल गई है, कॉलेज गई है, नौकरी पर गई है वह सुरक्षित वापस आएगी, इस बात का ऐसा विश्वास होना चाहिए क्योंकि उसके गांव में बजरंग दल है।
त्रिशूल दीक्षा देने के पीछे क्या है मकसद?
भारत में अब तक लाखों लोगों को त्रिशूल दीक्षा दी जा चुकी है। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को त्रिशूल दीक्षा देने के पीछे जो मकसद बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा करना बताया गया है। शास्त्र के ज्ञान के साथ-साथ शस्त्र का ज्ञान होना भी जरूरी है। बजरंग दल के पदाधिकारियों का कहना है कि सभी बजरंग दल के कार्यकर्ता सेवा सुरक्षा संस्कार से ओतप्रोत है, इसलिए उन्हें यह त्रिशूल की दीक्षा दी जाती है, इसका गलत प्रयोग हो ही नहीं सकता।
यह भी पढ़ें-
- कर्नाटक चुनाव में अब बजरंगबली Vs गणेश! इस वीडियो में ऐसा क्या है कि कांग्रेस पीएम मोदी पर साध रही निशाना
- 'बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का इरादा नहीं', कर्नाटक के पूर्व सीएम ने कही ये बात
RSS के रेशम बाग में हुआ था 7 दिन का शिक्षा वर्ग
त्रिशूल दीक्षा लेने वाले बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि त्रिशूल दीक्षा उन्हें बजरंगी को दिया जा रहा है जो 7 दिन का वर्ग पूरा कर चुके होते हैं। 7 दिन का वर्ग पूरा करने के बाद दीक्षा समारोह किया जाता है, उस दौरान इन बजरंगियों को त्रिशूल की दीक्षा दी जाती है। एक महीने पहले ही पूरे भारत से बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का RSS के रेशम बाग में 7 दिन का शिक्षा वर्ग हुआ था।
'आत्मरक्षा का प्रतीक है त्रिशूल दीक्षा'
मातृशक्ति एवं दुर्गा वाहिनी की महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि खुद की रक्षा के लिए मातृशक्ति और दुर्गा वाहिनी के कार्यकर्ता इसका उपयोग में लाएगी। उनका कहना है कि उनके साथ कोई गलत ना करें, इसलिए महिलाएं अपने साथ इसको रखती है, आत्मरक्षा का प्रतीक है त्रिशूल दीक्षा है।