महा विकास अघाड़ी यानी MVA को सिर्फ मुसलमानों के वोट चाहिए, लेकिन मुस्लिम नेता नहीं? ये सवाल इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र विधान परिषद के 87 साल के इतिहास में पहली बार एक भी मुस्लिम नेता उच्च सदन का सदस्य नहीं होगा। महा विकास अघाड़ी ने विधान परिषद चुनाव में एक भी मुस्लिम नेता को उम्मीदवारी नहीं दी है। विधान परिषद में दो मौजूदा मुस्लिम विधायक कांग्रेस से वजाहत मिर्जा और शरद पवार की एनसीपी से अब्दुल्लाह दुरानी का कार्यकाल 27 जुलाई को खत्म हो रहा है। विधान परिषद में किसी भी मुस्लिम जनप्रतिनिधि को टिकट नहीं मिलने से नाराज समाजवादी पार्टी ने MVA के तीनों प्रमुख नेताओं को पत्र लिखा है।
लोकसभा चुनाव की भी दिलाई याद
सपा विधायक रईस शेख ने पत्र में लिखा है, "महाराष्ट्र विधान परिषद 1937 से अस्तित्व में है और तब से लेकर आज तक हमेशा मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व अपर हाउस में रहा है। महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य के अपर हाउस में एक भी मुस्लिम नेता का ना होना शोभनीय नहीं है। महाराष्ट्र में 11.56 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। महाराष्ट्र की 14 लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक होने के बावजूद 2024 लोकसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम नेता को टिकट नहीं दिया गया। विधान परिषद के 11 सदस्यों का कार्यकाल 27 जुलाई को खत्म हो रहा है, लेकिन एक भी मुस्लिम नेता को उम्मीदवारी नहीं दी गई। अगर मुसलमानों को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया, तो मुस्लिम मतदाता AIMIM की ओर झुक सकता है।"
रईस शेख ने क्या कहा?
रईस शेख ने कहा कि मैंने महाविकास अघाड़ी के सभी नेताओं को पत्र लिखा है। इतनी बड़ी आबादी है लेकिन एक भी मुस्लिम को टिकट नही मिला। 100 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है जब अप्पर हाउस में एक भी मुस्लिम नेता नहीं होगा। इंटलेक्च्युल मुस्लिम वर्ग में काफी नाराजगी है,महाविकास अघाड़ी अपनी भूल का सुधार करें।
आलाकमान से हुई थी मुस्लिम नेता को टिकट देने की अपील
बता दें कि इस बार के विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस ने किसी मुस्लिम नेता के बजाय राहुल गांधी के दिवंगत दोस्त राजीव सातव की पत्नी प्रज्ञा सातव को उम्मीदवारी दी है। सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद चुनाव में भी किसी मुस्लिम नेता को उम्मीदवारी नहीं मिलने से महाराष्ट्र कांग्रेस के कई मुस्लिम नेता नाराज हैं। हफ्ते भर पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस आलाकमान से किसी मुस्लिम नेता को टिकट देने की अपील की थी। देर रात तक महाराष्ट्र में इस मुद्दे पर बैठक भी हुई, लेकिन कांग्रेस आलाकमान नहीं माना और प्रज्ञा सातव को टिकट दे दिया गया।
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