मुंबईः तिरुपति बालाजी देवस्थान के बाद अब मुंबई , महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश भर के लाखों करोड़ों गणेश भक्तों के श्रद्धा का स्थान मुंबई के सिद्धिविनायक गणपति मंदिर के प्रसाद को लेकर अब सवाल उठ खड़े हुए हैं। गणेश भगवान के लड्डू के प्रसाद का एक वीडियो क्लिप और कुछ फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इसके कारण मंदिर प्रशासन द्वारा बनाए जा रहे प्रसाद को लेकर सवाल उठाए गए। इसका खंडन आज मंदिर प्रशासन ने किया साथ ही एक DCP लेवल के अधिकारी से पूरे मामले की जांच करने की बात कही।
वायरल वीडियो की सच्चाई आई सामने
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो क्लिप में एक नीले रंग के कैरेट में लड्डू के कुछ पैकेट पड़े हुए हैं और उसी में एक प्लास्टिक के थैले में चुहे के बच्चे पिल्ले वहां पाए गए हैं। इंडिया टीवी की टीम ने सिद्धिविनायक मंदिर पहुंच वीडियो और पूरे मामले की तहकीकात की। हम उस सिद्धिविनायक मंदिर के महा प्रसाद भवन भी गए जहां पर भगवान के प्रसाद के लड्डू बनाए जाते हैं। हमने पाया कि गेट के बाहर प्रसाद भवन के बाहर लड्डू बनाने वाले कर्मचारी को और मंदिर ट्रस्ट के लोगों को भी हैंड कैप, हैंड ग्लोज, दस्ताने , मास्क लगाकर ही प्रसाद रूम में प्रवेश होता है। साथ हो लड्डू बनाने के लिए गाय के घी का इस्तेमाल होता है और जिस पानी का इस्तेमाल होता है वह भी BMC के लैब में टेस्ट करके ही लाया जाता है।
मंदिर प्रशासन का कहना है कि जो कर्मचारी ये लड्डू बनाने के काम करते हैं उनका टेंडर भी सर्टिफाइड एजेंसी और BMC की लैब में टेस्टिंग करने के बाद ही उनको लड्डू बनाने का काम दिया जाता है। मंदिर ट्रस्ट में जो भी कर्मचारी अंदर काम करते हैं वह पूरी तरह से साफ़ सफ़ाई और हाइजीन का ख्याल रखते हैं। मंदिर के अंदर बाहर तो सीसीटीवी का जाल है ही पर प्रसाद बनाने के फ्लोर पर भी हर जगह सीसीटीवी है। इसलिए अगर किसी ने यह हरकत की होती तो सच तुरंत पकड़ा जाता।
प्रसाद की क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं
बता दें कि सिद्धिविनायक मंदिर के प्रसाद भवन में हर दिन 50 हज़ार लड्डू बनाए जाते हैं। बाद में उनको एक बोरी में डबल कोटिंग में भी बैग में पैक किया जाता है। उस पर लड्डुओं बनाने की तारीख , कितने तादाद में लड्डू बने उसकी पूरी डिटेल होती हैं। ये लड्डू उसी दिन या ज़्यादा से ज़्यादा दूसरे दिन सभी श्रद्धालुओं को बांट दिये जाते हैं। एक लड्डू की क़ीमत 15 रुपया होती है तो कई लोग यहां से लड्डू ख़रीद कर श्रद्धालुओं में मुफ़्त में बांटने के लिए खरीद कर भी लेके जाते हैं। ट्रस्ट का प्रसाद हमेशा साफ़ सुथरा होता है। क्वालिटी और हाईजीन के साथ कोई समझौता नहीं होता है।
मंदिर प्रशासन ने किया खंडन
सिद्धिविनायक मंदिर की तरफ से बताया गया कि मंदिर में दिये जाने वाले प्रसाद को लेकर वायरल हो रही क्लिप 7 से 14 अगस्त के बीच की होने की आशंका है। मंदिर ट्रस्ट का दावा है की यह क्लीप हमारे मंदिर की महाप्रसाद स्थल की नहीं है। यह सिद्धिविनायक ट्रस्ट के ख़िलाफ़ षड्यंत्र हो सकता है। इसके पहले भी इस तरह प्रयास हुआ है। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख़्त कारवाई की जाएगी।
पुलिस अधिकारी से जांच कराएगा ट्रस्ट
इस मामले की डीसीपी लेवल के पुलिस अधिकारी से ट्रस्ट जांच करायेगा । जांच में साफ़ होगा कि वीडियो क्लिप कब की है कहा किस स्थान की है ? चुहे की थैली कहां से आयी और किसने रखी ? मंदिर परिसर में यह काम अगर किसी ने किया होगा तो सभी सीसीटीवी भी चेक किए जाएंगे । लेकिन यह मंदिर परिसर की या लड्डू भवन की क्लिप नहीं है।
क्या कहते हैं श्रद्धालु
इस संबंध में श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि यह बप्पा की जगह यह मंदिर में ऐसा काम नहीं हो सकता है। लड्डु की ख़ुशबू दूर से ही आती है। पर यहां मंदिर में साफ़ सफ़ाई का रख रखाव का अच्छा ख्याल रखा जाता । इससे पहले ऐसा कभी ऐसी बात सामने नहीं आई इसलिए हो सकता है कि ये किसी की का षड्यंत्र हो। तो कुछ लोग मान रहे है कि चुनाव सामने हैं इसलिए मंदिर ट्रस्ट को और हिंदू धर्म के धार्मिक संस्थानों को बदनाम करने के लिए साज़िश की जा सकती है।