Highlights
- मराठी भाषी वोटर बाला साहेब के समय से शिवसेना का परंपरागत वोट बैंक
- सिर्फ चुनाव के समय ही ‘मराठी माणुस‘ याद आते हैं शिवसेना कोः रामकदम
- ‘मराठी डांडिया‘ कुछ नहीं, सिर्फ नौटंकीः उद्धव गुट
Mumbai News: मुंबई में में बीएमसी चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है। ऐसे में हर राजनीतिक पार्टी अपना पूरा दमखम वोटरों को रिझाने में लगा रही है। एक तरफ नवरात्रि के मौके पर शिवसेना के शिंदे और उद्धव गुट दशहरा रैली को ज़्यादा भव्य बनाने और शक्ति प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं, तो वहीं बीजेपी ने भी शिवसेना के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने और उनके ही गढ़ में चुनौती देने के लिए ताल ठोक दी है। इसके लिए बीजेपी ने शहर के मराठी बेल्ट में ‘मराठी डांडिया‘ का आयोजन किया है। अब इस डांडिया को लेकर राजनीति भी जोरों पर है। जानिए ‘मराठी डांडिया‘ के बहाने क्या बन रहे हैं समीकरण?
बीजेपी के ‘मराठी डांडिया‘ की चर्चा पूरे मुंबई शहर में
बीजेपी के मराठी डांडिया के पूरे शहर में चर्चे हैं। क्योंकि बीजेपी यह खास डांडिया शहर के मराठी बहुल मध्य मुम्बई जैसे परेल, दादर, कालाचौकी, शिवड़ी जैसे इलाके में पहली बार आयोजित कर रही है। बीएमसी चुनाव करीब होने के चलते बीजेपी की यह वोट बैंक पॉलिटिक्स बहुत सुर्खिया बटोर रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह इसका भव्य आयोजन और डांडिया खेलने आनेवाले लोगों की भीड़ है।
मराठी भाषी वोटर बाला साहेब के समय से शिवसेना का परंपरागत वोट बैंक
अमूमन, मुंबई का मराठी भाषी वोट बैंक बालासाहेब ठाकरे के समय से ही शिवसेना का परंपरागत वोटर रहा है। बाद में राज ठाकरे के अलग हो जाने से कुछ हिस्सा उनमें बंट गया। ऐसे में जब बड़ी संख्या में शिवसेना के कद्दावर नेता बीजेपी में शामिल होने लगे। जैसे कालिदास कोलम्बकर, भास्कर शिंदे। तब इस वोट बैंक का कुछ हिस्सा बीजेपी को भी मिलने लगा, जिसका नतीजा है कि मध्य मुम्बई की 12 एमएलए सीट में से 5 बीजेपी के हैं। लेकिन बीजेपी को यह फायदा बीएमसी चुनाव के दौरान तब की शिवसेना के साथ गठबंधन के चलते भी मिलता रहा है। लेकिन इस बार हालात बिल्कुल अलग हैं। अब शिवसेना दो हिस्सों शिंदे और उद्धव गट में बंट चुकी है। ऐसे में कमज़ोर हुई शिवसेना के इसी आधार को देख बीजेपी ने ‘मराठी डांडिया‘ का आयोजन कर मराठी वोट बैंक में सेंधमारी की सोची।
सिर्फ चुनाव के समय ही ‘मराठी माणुस‘ याद आते हैं शिवसेना कोः रामकदम
बीजेपी नेता राम कदम ने भी माना कि इससे पहले बीजेपी ने गठबंधन नीति और बालासाहेब के सम्मान के चलते इस तरफ ध्यान नहीं दिया। साथ ही शिवसेना के उद्धव गट ने सिर्फ चुनाव के समय ही मराठी माणुस की बात की है। उनके लिए कुछ नहीं किया। अब बीजेपी पूरी ताकत लगा रही है कि पेंग्विन सेना यानी ‘उद्धव गट‘ के बीएमसी में 25 साल के कुशासन को खत्म किया जाए। इसलिए हम ताकत लगा रहे हैं।
‘मराठी डांडिया‘ कुछ नहीं, सिर्फ नौटंकीः उद्धव गुट
वहीं उद्धव गुट ने बीजेपी के ‘मराठी डांडिया‘ को नौटंकी करार दिया। पार्टी नेता मनीषा कायंदे ने बीजेपी के इस दाव को ‘समाज को बांटनेवाला‘ करार दिया। कहा देश में बीजेपी हिन्दू-मुस्लिम धर्म का सहारा लेकर चुनाव लड़ती है। तो अब बीएमसी में भाषा और प्रांत में बंटवारा करने की कोशिश रही है। इनकी नीति अंग्रेजों की तरह ‘फूट डालो राज करो जैसी है। बीजेपी केंद्र और राज्य दोनों जगह काबिज़ है, लेकिन अब वो बीएमसी के लिए यह बंटवारे वाली राजनीति कर रही है। इससे बीजेपी की सत्ता के लिए भूख दिखाई देती है।
उद्धव गुट से ‘धोखा‘ खाए वोटर बीजेपी को देंगे वोटः बीजेपी विधायक कोटेचा
वहीं मुंबई के मराठी बेल्ट में मराठी डांडिया आयोजित करनेवाले बीजेपी विधायक मिहिर कोटेचा ने कहा कि मराठी गरबा उनकी पार्टी की तरफ से पिछले 10 सालों से आयोजित किया जा रहा है, लेकिन इस बार ज़्यादा ग्रैंड तरीके से यानी बड़े स्वरूप में हो रहा है। मिहिर कोटेचा का दावा है कि इस बार शहर का मराठी वोटर जिसे शिवसेना ‘उद्धव गुट‘ ने धोखा दिया है वो बीजेपी को वोट देंगे और बीएमसी में बीजेपी का मेयर बैठेगा। मिहिर कोटेचा ने दावा किया कि उनके मराठी डांडिया इवेंट में रोज़ाना 10 से 15000 लोग आ रहे हैं और यह भीड़ लगातार बढ़ रही है।