मुंबई-गोवा हाईवे का मुद्दा अब जो महाराष्ट्र में जोर पकड़ रहा है। गड्ढों में छिपे इस हाईवे की वजह से राज ठाकरे की मनसे तक आक्रामक हो गई है। जानकारी मिली है कि आज पनवेल में मनसे के अध्यक्ष राज ठाकरे इस मुद्दे पर एक सभा कर कार्यकर्ताओ को संबोधित करने जा रहे हैं। इस दौरान राज ठाकरे हाल ही में हुई तमाम घटनाओं पर भी अपनी प्रतिक्रिया सामने रखेंगे। लेकिन इस सबके बीच ये जानना जरूरी है कि मुंबई-गोवा हाईवे की वजह से मनसे को सभा तक आयोजित करनी पड़ गई, आखिर मुंबई-गोवा हाईवे का मामला क्या है?
15 सालों से नहीं बन पाई सड़क
दरअसल, मुंबई-गोवा हाईवे पिछले 15 सालों से बन रहा है, लेकिन इसका काम अभी तक खत्म नहीं हो पा रहा है। डेढ़ दशक से जारी निर्माण कार्य के दौरान इस गड्ढे वाले हाइवे पर अब तक 6 हजार से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1500 से अधिक लोगों ने जानें गंवा दी। हैरानी की बात है कि साल 2011 में शुरू हुए मुम्बई-गोवा एक्सप्रेस वे का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है। 2012 और 2022 के बीच मुंबई-गोवा राजमार्ग पर सड़क दुर्घटनाओं में 1,500 से अधिक लोगों की जान चली गई। 2012 से 2022 तक मुंबई-गोवा राजमार्ग पर कुल 6,692 दुर्घटनाएं हुईं और 1,512 लोगों की जान चली गई।
मुंबई से गोवा पहुंचने में बचेंगे 6 घंटे
लेकिन अब महाराष्ट्र की शिंदे सरकार का दावा है कि इसका काम अगले महीने पूरा हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इसकी जानकारी दी थी। बता दें कि मुंबई-गोवा हाईवे कोंकण में 66 पर्यटन स्थलों को जोड़ता है, लिहाजा इससे विकास को बहुत बढ़ावा मिलेगा। गौरतलब है कि इस सड़क का निर्माण कार्य साल 2011 में शुरू हो गया था। इस हाईवे के जरिए मुंबई से गोवा का सफर तय करने के मौजूदा समय में लगभग 6 घंटे कम हो जाएंगे।
गणेशोत्सव से पहले खत्म हो जाएगा काम
मुंबई-गोवा एक्सप्रेसवे के शुरू होने का इंतजार हजारों लोगों को है। इसका काम अगले महीने खत्म होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि NH-66 से दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय छह घंटे कम हो जाएगा। सार्वजनिक निर्माण विभाग के मंत्री रवींद्र चव्हाण ने कहा कि परियोजना पर काम सितंबर में गणेशोत्सव से पहले खत्म हो जाएगा। मुंबई-सिंधुदुर्ग मार्ग के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट का काम अपने अंतिम चरण में है। समृद्धि हाईवे से 18 घंटे का सफर घटकर 8 से 10 घंटे का रह गया है।
इन इलाकों को जोड़ेगा ये हाईवे
दरअसल, मुंबई-गोवा राजमार्ग को चार लेन तक चौड़ा करने का काम एक दशक से अधिक समय से चल रहा है। 471 किलोमीटर की परियोजना पर साल 2011 में काम शुरू हो गया था। यह एक्सप्रेसवे पनवेल से शुरू होगा और मानगांव, पेन, पोलादपुर, महाड, चिपलून, खेड़, लांजा, रत्नागिरी, संगमेश्वर, सावंतवाड़ी, कुडाल, कणकवली, राजापुर, पणजी, कैनाकोना और मडगांव से होकर गुजरेगा।
हाईवे की गुणवत्ता पर संदेह
कहा जा रहा है कि कुछ जगहों पर दरारें दिख रही हैं, जिनको भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने कंक्रीट से भर दिया है, लेकिन कुछ लोगों ने सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की हैं। कंक्रीट स्लैब की परतें, बिना स्टील के, वाहनों का भार सहन करने में असमर्थ होंगी।
ठेकेदारों के कारण अटका प्रोजेक्ट
बताया जा रहा है कि ठेकेदारों के कारण प्रोजेक्ट पूरा होने में देरी हुई है। जिन ठेकेदारों को 2011 में निर्माण के लिए राजमार्ग के दो हिस्से दिए गए थे, उनकी वजह से देरी हुई। हालांकि, अब सभी मामले सुलझ गए हैं और राजमार्ग, जो जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) और दिघी बंदरगाह को भी जोड़ता है, देश की प्रगति में मदद करेगा। तटीय कोंकण क्षेत्र में कई काम भूमि अधिग्रहण, अनुमति, ठेकेदार समस्याओं जैसे मुद्दों के कारण रुके हुए थे।
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