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SIT ने 15 हजार करोड़ के महादेव बुक बेटिंग ऐप मामले में की पहली गिरफ्तारी, खुले कई अहम राज

मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने महादेव बुक बेटिंग ऐप मामले में पहली गिरफ्तारी की है। यह गिरफ्तारी 15000 करोड़ के घोटाला मामले में की गई है। गिरफ्तार किए गए आरोपी का नाम दीक्षित कोठारी है।

Reported By : Suraj Ojha Edited By : Amar Deep Published on: January 06, 2024 7:12 IST
आरोपी दीक्षित कोठारी को एसआईटी ने किया गिरफ्तार।- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV आरोपी दीक्षित कोठारी को एसआईटी ने किया गिरफ्तार।

मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच की विशेष जांच टीम (SIT) ने ₹15,000 करोड़ के महादेव बुक बेटिंग ऐप मामले में पहली गिरफ्तारी की है। पिछले साल माटुंगा पुलिस ने कोर्ट के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद यह मामला जाँच के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया गया। आखिर में इस मामले को जांचने के लिये एसआईटी का गठन किया गया। वहीं अब इस मामले में एसआईटी ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है। एसआईटी ने महादेव बेटिंग ऐप मामले में पहली बार एक आरोपी की गिरफ्तारी की है। एसआई ने ने जिस आरोपी को गिरफ्तार किया है उसने भारत में बेटिंग पर बैन लगने के बावजूद भारत में बेटिंग का काम किया। 

साल 2021 से चला रहा था बेटिंग का ऐप

सूत्रों ने बताया कि इस मामले में गिरफ्तार आरोपी का नाम दीक्षित कोठारी (27) है। मुंबई क्राइम ब्रांच ने बताया कि कोठारी “लोटसबुक 08” नाम के बेटिंग एप्लिकेशन का मुख्य संचालक है। जांच में पता चला कि यह साल 2021 में शुरू हुआ था और अभी भी इसके माध्यम से सट्टेबाजी की जाती है। एसआईटी ने खुलासा किया कि कोठारी के ईमेल ID का इस्तेमाल डोमेन पाने के लिए किया गया था और उसने पिछले दो सालों में इसकी मेंटेनेंस के किए लगभग 20 लाख रुपये तक खर्च किए है। वहीं अधिकारियों ने बताया कि भारत में बेटिंग पर बैन होने के बावजूद आरोपियों ने कानूनी खामियों का फायदा उठाया और वेबसाइट को विदेशी डोमेन पर रजिस्टर करके भारत में बेटिंग शुरू की।

क्या है महादेव बुक बेटिंग ऐप

बता दें कि महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप एक व्यापक सिंडिकेट है जो अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों को नए उपयोगकर्ताओं को नामांकित करने, उपयोगकर्ता आईडी बनाने और बेनामी बैंक खातों के एक स्तरित वेब के माध्यम से धन शोधन करने में सक्षम बनाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म की व्यवस्था करता है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत मामले की जांच कर रहा है।

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