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नाले में कचरा डालने वालों की अब खैर नहीं, BMC करेगी दंडात्मक कार्रवाई

BMC मुंबई के लोगों से नाली और नालों में कचरा नहीं डालने को लेकर सख्त लहजे में अपील की है। बीएमसी का कहना है कि अगर लोगों ने इसका पालन नहीं किया तो वह इस आदेश का उलंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की योजना बना रही है।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published : Dec 21, 2023 10:53 IST, Updated : Dec 21, 2023 10:53 IST
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Image Source : FILE PHOTO बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने कचरा फेंकने वालों से की अपील

मुंबई की बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने लोगों से नालों में कचरा नहीं डालने की अपील की है। इसके साथ ही बीएमसी ने कहा है कि अगर किसी ने इस बात का पालन नहीं किया तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की वह योजना बना रही है। बीएमसी ने ‘गहन सफाई’ अभियान के तहत पिछले पखवाड़े (15 दिन) में 1,042 मीट्रिक टन मलबा और 139 टन ठोस कचरा इकट्ठा किया था। गहन सफाई अभियान में 3,700 श्रमिकों के अलावा 33 मशीनें, 148 डंपर, 69 पानी के टैंकर और कई मशीनों की मदद ली गई थी। इस अभियान के तहत सड़कों, फुटपाथ, बंद नालों और नालियों की सफाई की जा रही है।

सख्त दंडात्मक कार्रवाई करने पर विचार

दरअसल, बीएमसी की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह देखा गया है कि गहन सफाई अभियान के बाद भी लोग मुंबई के नालों में कचरा फेंक रहे हैं। इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि नाले में कचरा फेंकने से अपशिष्ट जल की निकासी रुक जाती है। विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘लोगों को उस क्षेत्र में दोबारा कचरा नहीं फेंकना चाहिए जहां सफाई अभियान चलाया गया है, अन्यथा सफाई के प्रयास निरर्थक हो जाएंगे। लोगों को किसी भी स्थान पर नालियों में कचरा नहीं फेंकना चाहिए।’’ बीएमसी ने कहा कि उसका प्रशासन उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है। 

साइनबोर्ड को लेकर भी बीएमसी ने जारी की थी चेतावनी

वहीं पिछले महीने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने कहा था कि देवनागरी लिपि में नाम के साथ साइनबोर्ड नहीं लगाने वाले दुकानों , होटलों और अन्य व्यवासायिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ वह कार्रवाई शुरू करेगी। बीएमसी ने एक बयान में कहा था कि उसके प्रशासक आई.एस. चहल ने एक बैठक की और अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने को कहा कि (अन्य लिपि के अलावा) देवनागरी में भी दुकानों, संस्थानों और होटलों के नाम होने चाहिए। बता दें कि शीर्ष अदालत ने 25 नवंबर तक देवनागरी बोर्ड लगाने का समय दिया था लेकिन बयान के अनुसार नगर निकाय 28 नवंबर से कार्रवाई शुरू करेगा।

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