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शरद पवार के घर के बाहर MSRTC के कर्मचारियों का प्रदर्शन, नेमप्लेट पर मारी चप्पलें, सुप्रिया सुले ने जोड़ा हाथ

MSRTC के हजारों कर्मचारी खुद को राज्य सरकार के कर्मचारियों का दर्जा देने और निगम के विलय की मांग को लेकर नवंबर 2021 से हड़ताल पर हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 08, 2022 20:58 IST
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Image Source : PTI Police personnel in a scuffle with employees of MSRTC as they protest outside the residence of NCP Chief Sharad Pawar’s residence, in Mumbai.

Highlights

  • MSRTC के 100 से अधिक हड़ताली कर्मचारियों ने शरद पवार के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
  • प्रदर्शनकारियों ने कहा कि शरद पवार ने उनके मुद्दों को सुलझाने के लिये कुछ नहीं किया।
  • कर्मचारियों ने कहा कि वे राज्य सरकार के साथ निगम के विलय की अपनी मांग पर कायम हैं।

मुंबई: महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) के 100 से अधिक हड़ताली कर्मचारियों ने शुक्रवार को मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और उनके खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पवार ने उनके मुद्दों को सुलझाने के लिये कुछ नहीं किया। दोपहर करीब 3 बजे दक्षिण मुंबई में पेडर रोड स्थित पवार के आवास ‘सिल्वर ओक’ के बाहर प्रदर्शनकारी जमा होने से पुलिस हैरान रह गई। कर्मचारियों ने कहा कि वे राज्य सरकार के साथ निगम के विलय की अपनी मांग पर कायम हैं।

नवंबर 2021 से ही हड़ताल पर हैं MSRTC के हजारों कर्मचारी

MSRTC के हजारों कर्मचारी खुद को राज्य सरकार के कर्मचारियों का दर्जा देने और निगम के विलय की मांग को लेकर नवंबर 2021 से हड़ताल पर हैं। 3 दलों शिवेसना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार में परिवहन मंत्रालय NCP के पास है और अनिल परब परिवहन मंत्री हैं। पवार की बेटी और लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने घर के बाहर प्रदर्शनकारियों को हाथ जोड़कर समझाने की कोशिश की और कहा कि वह उनसे बात करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें पहले यह देखना है कि अंदर मौजूद उनके माता-पिता सुरक्षित हैं।

कोर्ट ने हड़ताली कर्मचारियों को काम पर लौटने का निर्देश दिया
पुलिस ने बाद में कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और उन्हें अपने साथ ले गई, जबकि घर के बाहर अतिरिक्त बल तैनात कर दिया गया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को हड़ताली कर्मचारियों को 22 अप्रैल तक काम पर लौटने का निर्देश दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद परिवहन मंत्री ने आश्वासन दिया था कि हाई कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर काम पर लौटने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि शुक्रवार दोपहर प्रदर्शनकारी पवार के आ‍वास पहुंचे और उनके खिलाफ नारेबाजी की।

कुछ कर्मचारियों ने पवार की नेमप्लेट पर जूते-चप्पल मारे
कुछ कर्मचारियों ने पवार के आवास पर लगी उनकी नेमप्लेट पर जूते-चप्पल भी मारे। MSRTC के एक हड़ताली कर्मचारी ने कहा, ‘हड़ताल के दौरान MSRTC के लगभग 120 कर्मचारी आत्महत्या कर चुके हैं। हम राज्य सरकार के साथ निगम के विलय की मांग पर कायम हैं। NCP प्रमुख शरद पवार ने हमारे मुद्दों को सुलझाने के लिये कुछ नहीं किया।' एक और प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हम बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन हम राज्य सरकार से इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं, जिसे जनता ने चुना है।’ 

‘सरकार के चाणक्य पवार भी नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं’
प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘चुनी हुई सरकार ने हमारे लिये कुछ नहीं किया। इस सरकार के चाणक्य शरद पवार भी हमें हुए नुकसान के लिये जिम्मेदार हैं।’ सुले ने प्रदर्शनकारियों से गुहार लगाते हुए कहा, ‘मैं आपके साथ बातचीत करने के लिए तैयार हूं। कृपया सहयोग करें। मेरे पिता, मां और बेटी घर के अंदर हैं। मैं आपके साथ बातचीत करने के लिए तैयार हूं। मुझे पहले उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने दें।’ जॉइंट पुलिस कमिश्नर (लॉ ऐंड ऑर्डर) विश्वास नांगरे-पाटिल भी मौके पर पहुंचे।

‘शरद पवार के आवास के बाहर प्रदर्शन अनावश्यक था’
एनसीपी नेता व महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे-पाटिल ने कहा कि कर्मचारियों को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए था। उन्होंने ट्वीट किया, ‘विरोध प्रदर्शन ने जो अवांछनीय मोड़ ले लिया है वह ठीक नहीं है। मुंबई में NCP प्रमुख शरद पवार के आवास के बाहर प्रदर्शन अनावश्यक था।’ उन्होंने किसी का नाम लिये बिना कहा कि अच्छी तरह से पता है कि इन प्रदर्शनकारियों को कौन उकसा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिये तैयार है।

‘MSRTC के 100 से अधिक कर्मचारियों की जान जा चुकी है’
बीजेपी नेता प्रवीण दारेकर ने कहा कि राज्य में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की 'झांसा देने वाली' सरकार है। उन्होंने कहा, 'MSRTC के 100 से अधिक कर्मचारियों की जान जा चुकी है, लेकिन राज्य सरकार गतिरोध को खत्म करने के लिए कभी गंभीर नहीं दिखी। मंत्री अनिल परब और अजीत पवार ने कई बार कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी। यह अहंकार कर्मचारी भूल नहीं पाए हैं।' पवार को महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ गठबंधन महा विकास आघाड़ी (MVA) का मुख्य शिल्पकार माना जाता है, जिसने 2019 में सरकार बनाई थी। (भाषा)

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