नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है। मोहन भागवत ने कहा कि संविधान सम्मत जितना आरक्षण है, उसको हम संघ के लोग पूरा समर्थन देते हैं। नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि जो आरक्षण दिया गया है, वह अपने देश में सामाजिक विषमता का इतिहास रहा है और हमने अपने ही समाज के लोगों को सामाजिक व्यवस्था के उपरांत पीछे रखा। उनका जब जीना पशु समान हो गया तो हमने चिंता नहीं की और ऐसा 2000 साल से चला आ रहा है।
"जब तक भेदभाव, तब तक आरक्षण चालू रहे"
सरसंघचालक ने कहा कि इतिहास से उदाहरण मिलते हैं, उनको बराबरी में लाने तक कुछ विशेष उपाय करने होंगे। जब तक यह भेदभाव है, तब तक उसको (आरक्षण) चालू रहना चाहिए। संविधान सम्मत जितना आरक्षण है उसको हम संघ के लोग पूरा समर्थन देते हैं, यह सम्मान की बात है। जिनको आरक्षण मिलता है, उन्होंने धीरे-धीरे यह आवाज उठाई है कि आरक्षण पाकर हम समर्थ हो गए। अब हमको नहीं चाहिए, दूसरों को दो जिसको आवश्यक होता है। हम लेने वाले नहीं बनना चाहते, हमको देने वाला बनना है। ऐसे इस वर्गों के प्रमुखों की आशा हो रही है।
"आपके बूढ़े होने से पहले होगा अखंड भारत"
नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत से जब अखंड भारत को लेकर सवाल किया गया तो संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आपके बूढ़े होने से पहले अखंड भारत होगा। हालांकि इसको लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने तर्क भी दिया। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आप आज करने जाएंगे तो आपके बूढ़े होने से पहले दिखेगा, क्योंकि परिस्थितियां ऐसी करवट ले रही हैं, क्योंकि जो भारत से अलग हुए हैं उनको लगता है कि गलती हो गई। हमको फिर से भारत होना चाहिए, लेकिन वह मानते हैं कि भारत होना यानी कि नक्शे की रेखाएं पोंछ डालना। ऐसा नहीं है, केवल उससे नहीं होगा। भारत होना यानी कि भारत के स्वभाव को स्वीकार करना। उन्हें वह स्वभाव मंजूर नहीं था, इसलिए भारत का खंडन हुआ था, वह जब स्वभाव आएगा तो कुछ बदलना नहीं पड़ेगा सब भारत एक हो जाएगा।
संघ मुख्यालय में तिरंगा ना फहराने को लेकर सुनाई कहानी
संघ मुख्यालय में तिरंगा नहीं फहराने को लेकर मोहन भागवत ने एक किस्सा सुनाया और कहा कि पहली बार ध्वज को फहराने में बाधा आई। तब से स्वयंसेवक संघ इस ध्वज के सम्मान के साथ जुड़ा है। नागपुर में मोहन भागवत ने कहा कि हम लोग हर साल 15 अगस्त , 26 जनवरी को जहां रहते हैं, वहीं झंडा फहराते हैं। ये सवाल हमसे नहीं पूछना चाहिए। स्वतंत्र भारत का झंडा तीन रंग का होगा और कांग्रेस का झंडा भी तीन रंग का होगा। तब एकमात्र कांग्रेस बड़ी संस्था थी। यह 1933 में तय हो गया, वहां पर अधिवेशन हुआ ।
कांग्रेस का पहली बार 80 फीट ऊंचे खंबे पर जवाहरलाल नेहरू के हाथ में रसीद देकर ध्वज फहराया गया लेकिन 40 फीट ऊपर चढ़कर वह बीच में लटक गया। एक जवान दौड़ के आया चढ़ा और ध्वज को ऊपर तक लेकर गया और नीचे आया। लोगों ने जय जयकार की, जवाहरलाल जी ने पीठ थपथपाई और कहा कि कल अधिवेशन में आओ, तुम्हारा सार्वजनिक अभिनंदन करेंगे। लेकिन कुछ लोगों ने उनको जाकर बताया कि यह संघ की शाखा में जाता है। तब उसको नहीं बुलाया गया। मोहन भागवत ने कहा कि किसन सिंह राजपूत ने वो झंडा फहराया था। पहली बार ध्वज को फहराने में बाधा आई तब से स्वयंसेवक संघ इस ध्वज के सम्मान के साथ जुड़ा है।
"राष्ट्रवाद हम नहीं सोचते, हम राष्ट्रीयता सोचते हैं"
नागपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ये भी कहा कि राष्ट्रवाद हम नहीं सोचते, हम राष्ट्रीयता सोचते हैं। क्योंकि बाकी जगह नेशनलिज्म चलता है और हमारी राष्ट्रीयता में फर्क है। बाकी जगह राष्ट्रीयता आई, राष्ट्रवाद मनुष्य जब समूह करके जीता है तो सुरक्षित रहता है, वरना एक मच्छर भी परेशान करता है।
ये भी पढ़ें-