मुंबईः भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की वरिष्ठ अधिकारी रश्मि शुक्ला को बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र का नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया गया। राज्य के गृह विभाग ने इस आशय का आदेश जारी किया। रश्मि शुक्ला महाराष्ट्र की पहली महिला पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें राज्य का डीजीपी बनाय गया है। वर्ष 1988 बैच की आईपीएस अधिकारी शुक्ला प्रतिनियुक्ति पर सशस्त्र सीमा बल की महानिदेशक के रूप में पदस्थ थी। पूर्व डीजीपी रजनीश सेठ के 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने के बाद मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक फणसलकर को डीजीपी महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था।
6 महीने बाद हो जाएंगी रिटायर
रश्मि शुक्ला बेशक डीजीपी बन गईं लेकिन उनका कार्यकाल महज छह महीने ही रहेगा। वह जून 2024 में सेवानिवृत्त हो जाएंगी। अगर सरकार ने उनका कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया तो वह इस शीर्ष पद पर मात्र छह महीने ही रह पाएंगी। इससे पहले वह लंबे समय से डीजीपी पद की दौड़ में शामिल रहीं।
बीजेपी नेताओं की करीबी होने के लगते रहें हैं आरोप
2019 में राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास अघाड़ी सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्हें भाजपा के करीबी के रूप में देखा गया। उन्हें 2020 में राज्य खुफिया आयुक्त (एसआईडी) के पद से हटा दिया गया था। उद्धव ठाकरे के शासन के दौरान तीन एफआईआर दर्ज की गईं, जिसमें आरोप लगाया गया कि एमवीए नेताओं की कॉल को अवैध रूप से इंटरसेप्ट किया जा रहा था। शुक्ला पर आरोप लगे कि उन्होंने कॉल रिकॉर्ड का डेटा तत्कालीन विपक्षी नेता देवेंद्र फड़नवीस को लीक किया। तीन में से दो मामलों में रश्मि शुक्ला को आरोपी बनाया गया था।
इस तरह से महाराष्ट्र में आने का रास्ता हुआ साफ
बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ पुणे और मुंबई में दर्ज तीन एफआईआर में से दो को रद्द कर दिया। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे-फडणवीस सरकार के सत्ता में आने के बाद तीसरा मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया। पिछले महीने अदालत द्वारा सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट की अनुमति देने के बाद यह मामला भी बंद कर दिया गया, जिससे उनके राज्य में लौटने का रास्ता साफ हो गया।
मुकदमा चलाने की मंजूरी से सरकार ने इनकार किया था
रश्मि शुक्ला पिछली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के कार्यकाल के दौरान विवादों में घिर गई थीं, जब उन्हें फोन टैपिंग मामलों में आरोपी के रूप में नामजद किया गया था। बंबई हाई कोर्ट ने सितंबर 2023 में इस संबंध में शुक्ला के खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकी को रद्द कर दिया। जब शुक्ला राज्य के खुफिया विभाग की प्रमुख थीं, तब कुछ विपक्षी नेताओं के फोन कथित तौर पर अवैध रूप से टैप करने के लिए पुणे और दक्षिण मुंबई के कोलाबा में दो प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। पुणे का मामला प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले के फोन कॉल कथित तौर पर रिकॉर्ड करने के लिए दर्ज किया गया था, जबकि मुंबई का मामला शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता एकनाथ खडसे के फोन कॉल कथित तौर पर रिकॉर्ड करने के लिए दर्ज किया गया था।
विपक्ष के नेता के रूप में फडणवीस द्वारा पुलिस विभाग में तबादलों में कथित भ्रष्टाचार के बारे में तत्कालीन महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक को कथित तौर पर शुक्ला द्वारा लिखे गए एक पत्र का हवाला देने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। पुणे में दर्ज प्राथमिकी में पुलिस ने ‘सी-समरी रिपोर्ट’ (मामला न तो गलत है और न ही सच है) प्रस्तुत की थी और मामले को बंद करने की मांग की थी, जबकि मुंबई के मामले में सरकार ने शुक्ला के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।