महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मराठा आरक्षण को लेकर मांगे माने जाने के बाद मनोज जारांगे पाटिल ने बुधवार को कहा कि पिछले 70 वर्षों में यह पहली बार है कि मराठा समुदाय को आरक्षण के लिए मजबूत कानून मिला है। हमने मुंबई तक मार्च करने की योजना बनाई थी। जब हमें आरक्षण का प्रमाण पत्र मिल जाएगा तो हम विजय रैली निकालेंगे और उसी दिन राज्य में महा दिवाली मनाई जाएगी।
आमरण अनशन करने की चेतावनी दी
मनोज जरांगे ने मराठाओं को कुनबी जाति के प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर महाराष्ट्र सरकार की मसौदा अधिसूचना को बुधवार से लागू करने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की जाती है तो वह 10 फरवरी से आमरण अनशन करेंगे। पत्रकारों से बातचीत में जरांगे ने कहा कि मराठाओं को सरकारी नौकरियों तथा शिक्षा में आरक्षण के लाभ हासिल करने के लिए कुनबी जाति के प्रमाणपत्र दिए जाने के वास्ते अधिसूचना को कानून में बदलने के लिए राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।
सरकार ने मसौदा अधिसूचना जारी की थी
महज चार दिन पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने जरांगे के साथ बातचीत के बाद एक मसौदा अधिसूचना जारी की थी जिसमें कहा गया है कि जिस मराठा व्यक्ति के पास यह दर्शाने के लिए रिकॉर्ड हैं कि वह कुनबी समुदाय से जुड़ा है, उसके सगे-संबंधियों को भी कुनबी के तौर पर मान्यता दी जाएगी। कुनबी समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आता है और जरांगे सभी मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र दिये जाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अधिसूचना तत्काल लागू की जाए। अधिसूचना के आधार पर एक कानून लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए। अगर कल (31 जनवरी) से क्रियान्वयन शुरू नहीं होता है तो मैं 10 फरवरी से आमरण अनशन करूंगा।
हाई कोर्ट पहुंचा मामला
वहीं, महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के महाराष्ट्र सरकार के कदम को चुनौती देते हुए बंबई हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। मंगेश ससाने द्वारा मंगलवार को दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाण पत्र देकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को ‘‘प्रभावित’’ कर रही हैं।