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महाराष्ट्र में मनोज जरांगे ने फिर से शुरू किया निश्चितकालीन अनशन, सरकार से की ये मांग

मनोज जरांगे ने कहा कि वह यह भी चाहते हैं कि उनके आंदोलन के दौरान मराठा समुदाय के कई सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं। उन्होंने कहा, "मराठा समुदाय मेरे लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन सरकार जानबूझकर आरक्षण नहीं दे रही है।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Updated on: September 17, 2024 18:34 IST
मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे- India TV Hindi
Image Source : ANI मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे

संभाजीनगरः महाराष्ट्र में मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को अपने समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण देने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया। जरांगे का एक साल से अधिक की अवधि में यह छठा अनशन है। उन्होंने यहां से करीब 75 किलोमीटर दूर जालना जिले के अपने पैतृक गांव अंतरवाली सरती में आधी रात से आंदोलन शुरू कर दिया।

मनोज जरांगे ने दी चेतावनी

अनशन से पहले संवाददाताओं को संबोधित करते हुए जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार पर समुदाय को जानबूझकर आरक्षण नहीं देने का आरोप लगाया और कहा कि मराठा अपनी मांगों को पूरा करने के लिए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ‘एक और मौका’ दे रहे हैं। उन्होंने सत्तारूढ़ दलों को चेतावनी भी दी कि यदि समुदाय की मांगें पूरी नहीं की गईं तो उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों में इसके परिणाम भुगतने होंगे।

मनोज जरांगे ने की सरकार से ये मांग

जरांगे उस मसौदा अधिसूचना के क्रियान्वयन की मांग कर रहे हैं, जिसमें कुनबी समुदाय को मराठा समुदाय के सदस्यों के ‘सगे सोयरे' (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता दी गई है और उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण दिया गया है। जरांगे ने कहा कि वह यह भी चाहते हैं कि उनके आंदोलन के दौरान मराठा समुदाय के कई सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं। उन्होंने कहा, "मराठा समुदाय मेरे लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन सरकार जानबूझकर आरक्षण नहीं दे रही है।  

जरांगे का यह है छठा अनिश्चितकालीन अनशन

जरांगे ने कहा कि फडणवीस का समर्थन करने वाले नेताओं को उनसे बात करनी चाहिए। समुदाय देख रहा है कि आरक्षण कौन देगा। उन्होंने चेतावनी दी कि बाद में किसी भी परिणाम के लिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। पिछले वर्ष एक सितंबर के बाद से यह उनका छठा अनिश्चितकालीन अनशन है। जरांगे ने ‘सगे सोयरे' (रक्त संबंधी) अधिसूचना के मसौदे पर सरकार की 'निष्क्रियता' पर सवाल उठाते हुए पूर्ववर्ती हैदराबाद और सतारा रियासतों तथा बॉम्बे प्रेसीडेंसी के दौर के 'गजट' को लागू करने की मांग की। 

बता दें कि इस साल फरवरी में महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया था जिसमें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए एक अलग श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया था, लेकिन जरांगे ओबीसी श्रेणी के तहत समुदाय को कोटा देने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।

इनपुट-भाषा 

 

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