जालना: मराठा आरक्षण के लिए अपने पांचवें अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल आंदोलन के चौथे दिन मंगलवार को शिवबा संगठन के प्रमुख मनोज जरांगे-पाटिल की तबीयत बिगड़ गई। मेडिकल टीम की जांच में कई बीमारियों से पीड़ित पाए गए जरांगे ने इलाज कराने और दवाएं लेने से इनकार कर दिया है। उनके एक सहयोगी ने कहा कि एक मेडिकल टीम ने जरांगे पाटिल की जांच की और पाया कि वह कमजोरी, लो ब्लड प्रेशर, कम वजन और दूसरी बीमारियों से पीड़ित हैं। हालांकि, उन्होंने कोई भी दवा लेने से इनकार कर दिया है और कहा कि मराठा आरक्षण पर सरकार द्वारा मांगें माने जाने तक भूख हड़ताल जारी रहेगी।
‘उन्हें तुरंत इलाज की जरूरत है’
मंगलवार को जरांगे जांच करने वाली एक सरकारी अस्पताल की टीम के एक डॉक्टर ने कहा कि उन्हें तुरंत इलाज की जरूरत है, लेकिन वह इलाज कराने के लिए तैयार नहीं हैं। इस मुद्दे पर बात करते हुए जरांगे ने कहा, ‘मेरा अनशन जारी रहेगा। कुछ लोग आंदोलन को कमजोर करने के लिए मराठों से बातें कर रहे हैं, लेकिन यह काम नहीं करेगा। सरकार को लंबित मांगों का तत्काल समाधान निकालना चाहिए।’ राज्य मंत्री छगन भुजबल के सोमवार को दिए गए बयान कि महायुति के लिए लोकसभा चुनाव पर 2023-2024 के मराठा आंदोलन का कोई असर नहीं पड़ा है, जरांगे-पाटिल ने कहा, ‘थोड़ा और इंतजार कीजिए और आपको पता चल जाएगा।’
8 जून से जारी है भूख हड़ताल
इससे पहले, शिवबा संगठन के नेता ने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार अपने वादों को पूरा करने में विफल रही तो वह अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे। लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के 4 दिन बाद, जरांगे पाटिल ने 8 जून को अपने पैतृक गांव अंतरावली सरती में भूख हड़ताल के साथ अपना नया आंदोलन शुरू किया था। बता दें कि जरांगे पाटिल को मनाने की काफी कोशिश की गई है लेकिन उनका कहना है कि मराठा आरक्षण पर सरका द्वारा मांगें माने जाने तक वह अपनी भूख हड़ताल को जारी रखेंगे।