
महाराष्ट्र के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने मराठी भाषा को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब से सभी व्यवसायिक (कमर्शियल) गाड़ियों के ऊपर लिखे गए सामाजिक संदेश मराठी भाषा में लिखने होंगे। सरकार की ओर से कहा गया कि आने वाले गुढ़ी पड़वा (30 मार्च, 2025) से इस नियम का पालन करना होगा।
शिक्षा और पर्यावारण समेत कई मुद्दों पर होंगे ये संदेश
महाराष्ट्र में अब सभी कमर्शियल गाड़ियों (ट्रक, बस, रिक्शा) पर मराठी भाषा में सामाजिक संदेश लिखना अनिवार्य कर दिया गया है। ये संदेश शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य जागरूकता जैसे विषयों पर आधारित होंगे।
समाज में मराठी भाषा को लेकर बढ़ेगी जागरुकता
इनमें 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' और 'एक कदम स्वच्छता की ओर' जैसे संदेश गाड़ियों पर दिखाई देंगे। सरकार का कहना है कि इससे सामाजिक जागरूकता बढ़ेगी। मराठी भाषा के प्रति लोगों की जागरुकता भी बढ़ेगी।
मराठी महाराष्ट्र राज्य की आधिकारिक भाषा
आदेश को जारी करते हुए मंत्री परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि मराठी महाराष्ट्र राज्य की आधिकारिक भाषा है। महाराष्ट्र के नागरिक मुख्यतः मराठी भाषी हैं। पीएम मोदी के प्रयासों से मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ है। स्वाभाविक रूप से,मराठी भाषा को संरक्षित करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।
मराठी भाषा का मिलेगा उचित सम्मान
मंत्री ने कहा कि अभी राज्य में पंजीकृत कई कमर्शियल गाड़ियों पर सामाजिक संदेश, विज्ञापन और शैक्षिक जानकारी हिंदी या अन्य भाषाओं में लिखी होती है। जैसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ इससे मराठी भाषा के प्रचार और प्रसार पर प्रतिबंध लगता है। यदि भविष्य में इस तरह के सामाजिक संदेश, विज्ञापन और शैक्षिक जानकारी मराठी में प्रदर्शित की जाती है तो महाराष्ट्र के लोगों को अधिक उपयोगी जानकारी मिलेगी और मराठी भाषा का प्रचार और प्रसार होगा। इसके अलावा मराठी भाषा का भी उचित सम्मान भी मिलेगा।