Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा के दो दिन का सत्र आज से शुरू हो रहा है। सियासी घमासान के बाद अब विधानसभा में रस्साकशी और अंतर्विरोध देखने को मिल सकता है। खासकर शिवसेना पार्टी के दोनों गुट ठाकरे और शिंदे गुट ने अपना अपना व्हिप जारी कर शिवसेना के सभी 55 विधायकों को उनके समर्थक उम्मीदवार को वोट डालने और सदन में हाजिर रहने को कहा है। व्हिप का उल्लंघन करने पर विधायकों पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
आज से शुरू हो रहा दो दिन का सत्र
विधानसभा में शिंदे सरकार को विश्वास मत हासिल करने के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दो दिन के लिए विशेष सत्र बुलाने का आदेश दिया है। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए उद्धव की शिवसेना के सचेतक सुनील प्रभु ने सभी विधायकों को व्हिप जारी किया है। व्हिप में कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव 3 और 4 जुलाई के विशेष विधानसभा सत्र के दौरान किया जा रहा है। इसलिए शिवसेना के सभी सदस्य पूरे समय सदन में मौजूद रहें। शिंदे गुट के सचेतक भरत गोगावले ने भी व्हिप जारी कर सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है।
फरवरी 2021 से खाली पड़ा है विधानसभा अध्यक्ष का पद
दोनों गुट शिवसेना के सभी 55 विधायकों के वोट को लेकर दावे कर रहे हैं। इस बीच शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा है कि आदित्य ठाकरे सहित उद्धव गुट के 16 विधायकों की सदस्यता खत्म नहीं की जाएगी। गौरतलब है कि फरवरी, 2021 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले के इस्तीफे के बाद से यह पद रिक्त है।
विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव: कांग्रेस ने किया विरोध
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के एक पत्र को आधार बनाकर कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव का विरोध किया है। कांग्रेस नेता बालासाहेब थोरात का कहना है कि अध्यक्ष का चुनाव अदालत में लंबित है। ऐसे में चुनाव कैसे कराए जा सकते हैं। जब हम सरकार में थे, तो राज्यपाल हमें महीनों तक बताते रहे कि मामला कोर्ट में है, वह स्पीकर के चुनाव की अनुमति नहीं दे सकते। फिर उन्होंने नई सरकार के लिए कैसे अनुमति दी है। वहीं शिवसेना ने प्रेस रिलीज जारी कर एकनाथ शिंदे को शिवसेना नेता पद से हटा दिया है। इस कार्रवाई का शिंदे और उनके समर्थकों ने विरोध किया है।
एकनाथ शिंदे को पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए उद्धव ने हटाया
शिवसेना अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए उन्हें शिवसेना नेता के पद से हटा दिया। ठाकरे ने पत्र में कहा कि शिंदे ने स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता छोड़ दी थी, इसलिए शिवसेना पार्टी अध्यक्ष के रूप में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मैं उन्हें पार्टी संगठन में शिवसेना नेता के पद से हटाता हूं।