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महाराष्ट्र की राजनीति में क्या फिर बनेंगे नए समीकरण? कैबिनेट मीटिंग में अजित पवार की गैर-मौजूदगी से लग रहे कयास

ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं महाराष्ट्र की राजनीति में फिर हलचल देखने को मिल सकती है क्योंकि इन दिनों अजित पवार और सीएम एकनाथ शिंदे के बीच दूरियां साफ दिख रही है। बता दें कि बीते दिन अजित पवार कैबिनेट मीटिंग में भी शामिल नहीं हुए थे।

Reported By : Sameer Bhaudas Bhise Edited By : Shailendra Tiwari Published on: October 04, 2023 12:11 IST
Ajit pawar, Cm Eknath shinde- India TV Hindi
Image Source : PTI अजित पवार और सीएम एकनाथ शिंदे के बीच बढ़ रही दूरियां

अजित पवार की कैबिनेट मीटिंग में गैर-मौजूदगी से महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से किसी नए समीकरण की ओर इशारा करते दिखाई पड़ने लगे है। अपने समय और काम के पाबंद अजित पवार के बीते दिन मंत्रिमंडल की बैठक में गैर-मौजूदगी ने कई सवाल खड़े किए है। अपने राजनीतिक और मंत्रिपद के कार्यकाल में शायद ही अजित पवार मुंबई में होने के बाद भी गैरमौजूद रहे हों। बीते दिन कैबिनेट के मीटिंग में सबसे पहली चर्चा नांदेड के सरकारी अस्पताल में 24 मौतों पर हुई जो एक ही दिन में दर्ज की गई थी। इन मौतों से सरकारी अस्पताल की बदइंतजामी फिर एक बार सामने आई है।

तीन सदस्यीय टीम का गठन

गौरतलब है कि यह अस्प्ताल मेडिकल एजुकेशन के अंतर्गत आता है और इस विभाग के मंत्री हसन मुशरिफ हैं और हसन मुशरिफ अजित पवार गुट के है। दवाईंया उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग की है जिसके मंत्री तानाजी सावंत हैं और ये एकनाथ शिंदे गुट के मंत्री हैं। मौत की वजह जरूरी दवाइयों का अभाव है या फिर डॉक्टर, नर्स का मौजूद न होना या और कुछ और। इस सबकी जांच के लिए सरकार तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया हैं। जल्द ही रिपोर्ट पेश करने के आदेश मुख्यमंत्री ने दिए है।

उठाए थे मुख्यमंत्री एकनाथ पर सवाल 

कुछ महीने पहले जब ठाणे के अस्पताल में एक ही दिन में 18 मरीजों की मौत का मामला सामने आया था, तब राष्ट्रवादी कांग्रेस शरद पवार गुट के विधायक जितेंद आव्हाड ने मुख्यमंत्री एकनाथ पर सवाल उठाए थे। सूत्र बताते हैं कि अजित पवार ने कैबिनेट की मीटिंग में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से पूछा था कि आपके ठाणे शहर के अस्पताल में क्या चल रहा है? इस एकनाथ शिंदे ने हंसकर टाल दिया था। उस वक्त मौजूद देवेंद्र फडणवीस ने भी बीच-बचाव कर बहस को दूसरी दिशा में मोड़ दिया था, लेकिन इस विवाद का असर यह हुआ कि अजित पवार और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे में कोल्ड वॉर की शुरुआत हो गई। आइए नजर डालें उन घटनाक्रम पर जिस कारण अजित पवार और एकनाथ शिन्दे में दूरियां बढ़ती नजर आईं।

कई मौकों पर साथ नहीं गए अजित पवार

जानकारी दें कि जब जालना में मराठा आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे पाटिल से मिलने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गए तो वहां अजित पवार साथ नहीं गए। फिर जब अमित शाह गणपति दर्शन के लिए मुंबई आए, उस वक्त भी अजित, अमित शाह से मिलने नहीं पहुंचे। वहीं, जेपी नड्डा मुंबई आए तब भी अजित पवार पूर्व निर्धारित कार्यक्रमो में व्यस्त रहे। अजित पवार के पास वित्त मंत्रालय होने की वजह से वह सभी विभागों के बड़े प्रोजेक्टों की फाइल देखने लगे, जो एकनाथ शिंदे को नागवार गुजरी।

बढ़ती जा रहीं है दूरियां 

उल्लेखनीय है कि अजित पवार की प्रशासन पर पकड़ है। कई सालों तक मंत्री बने रहने और कई मंत्रालयों में काम करने का उन्हें गाढ़ा अनुभव है। कहा जाता हैं कि मौजूदा सरकार में भले ही मुख्यमंत्री पद पर एकनाथ शिंदे हों लेकिन सरकार के अहम निर्णय उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के रजामंदी के पूरे नहीं होते। अब जबकि अजित पवार भी सरकार का हिस्सा है और वित्त मंत्रालय उनके पास होने की वजह से हर एक विभाग में अपना हस्तक्षेप रखते हैं। ऐसे में दूरियां तो बढ़ेंगी ही। सूत्रों की माने तो मंत्रीमंडल का तीसरे विस्तार में कुछ ही दिनों में हो सकता है क्योंकि अभी 14 मंत्री पद बाकी बचे हुए हैं, जिसमें से अजित पवार गुट के एक कैबिनेट और 2 राज्य मंत्री पद की मांग कर रहे हैं। मौजूदा स्थिति अपना कुनबा सम्भालने के लिए एकनाथ शिंदे गुट को ज्यादा मंत्री पद की जरूरत है। वहीं बीजेपी में भी कई ऐसे नेता है जिन्हें मंत्री पद की आस है इसलिए अब और मंत्री पद मांगा गया है, साथ ही गार्जियन मंत्री पद के लिए भी मांगा गया जिला शिंदे व फडनवीस के देने से इनकार करने की खबरें बी राजनीतिक गलियारों में चर्चित हैं।

अजित पवार साथ नहीं आए दिल्ली

बीते दिन एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस दिल्ली पहुंचे, लेकिन अजित पवार साथ नहीं आए। इसका कारण बताया गया उनकी तबियत ठीक नहीं है। ख़ुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि अजित पवार की तबियत ठीक नहीं इसीलिए वे मंत्री मंडल की बैठक में नहीं आए उनकी गैर मौजूदगी का कोई और मतलब निकलने की जरूरत नहीं है। अजित पवार ने हाल ही में बारामती दौरे पर कहा था कि आज उनके पास वित्त मंत्री पद है, वे सरकार में हैं कल होंगे या नहीं पता, कल किसी ने नहीं देखा है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो अजित पवार की नाराजगी सरकार में शामिल होने के दिनों से ही दिखाई दे रही थी जो अब और गहरी होती जा रही है इसलिए अपने फैसले से हमेशा सभी को चौंका देने वाले अजित पवार कोई और चौकाने वाला फैसला ले तो आश्चर्य नहीं होगा।

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