Sunday, December 22, 2024
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Maharashtra Political Drama: पवार-फडणवीस के बीच वित्त मंत्रालय को लेकर खींचतान! CM शिंदे की भूमिका पर सबकी नजर

शिंदे-फडणवीस सरकार में 2 जुलाई को अचानक से अजित पवार की एंट्री हुई। अजित पवार समेत 9 विधायकों को एनसीपी की तरफ से मंत्री बनाया गया था लेकिन अब तक अजित पवार और उनके साथ मंत्री बने नेताओं को विभाग यानी पोर्टफोलियो नहीं दिया गया है। वहीं, सरकार में भी तीनों खेमों में बेचैनी बनी हुई है।

Written By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jul 11, 2023 16:01 IST, Updated : Jul 11, 2023 16:01 IST
ajit pawar fadnavis eknath shinde
Image Source : PTI वित्त मंत्रालय पर है अजित पवार की नजर

महाराष्ट्र में सियासी घमासान जारी है। हाल ही में एनसीपी के अजित पवार (Ajit Pawar) सरकार में शामिल हो गए, इसके बाद अब मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि किसे कौनसा मंत्रालय मिलेगा। फिलहाल, दो सबसे बड़े और जरूरी मंत्रालय (गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय) देवेंद्र फडणवीस के पास हैं। यह दोनों मंत्रालय ऐसे हैं, जिनपर लगभग सभी की नजर रहती है। कहीं ना कहीं अजित पवार की नजर भी इन पर हैं जबकि यह अभी फडणवीस के पास हैं। यहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की भूमिका भी अहम होगी कि वह इन मंत्रालयों को किसे सौंपना चाहते हैं।

सीएम एकनाथ शिंदे पहले ही कह चुके हैं कि महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। इस विस्तार के साथ ही अजित पवार को मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया जाएगा लेकिन अभी बात मंत्रालय को लेकर अटकी हुई है। सियासी खींचतान जारी है और अगर गृह मंत्रालय या वित्त मंत्रालय में से कोई भी पवार को मिला तो यह फडणवीस के लिए झटका होगा।

मंत्रालय पर फैसला जल्द

ऐसा माना जा रहा है कि अजित पवार के सरकार में शामिल होने से मंत्रिपद के बंटवारे में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह आशंका जताई जा रही है कि बीजेपी हाई कमान देवेंद्र फडणवीस को दिल्ली बुलाकर केंद्रीय कैबिनेट में कोई जिम्मेदारी देने की तैयारी में है। हालांकि, इसपर कुछ स्पष्ट नहीं है।

अगर फडणवीस को किसी वजह से केंद्रीय कैबिनेट में कोई जिम्मेदारी मिलती है तो इसका सबसे बड़ा फायदा एकनाथ शिंदे को होगा। आने वाले दिनों में BMC चुनाव, लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव होने हैं, जो महाराष्ट्र में तमाम सियासी दलों का भविष्य तय कर सकते हैं। इनमें अगर शिंदे गठबंध को लीड करते हैं तो उनका कद और बढ़ेगा लेकिन इसके लिए उनकी राह आसान नहीं है।

चर्चा में था विज्ञापन
वहीं, आपको बता दें कि पिछले कुछ समय में दोनों नेताओं के बीच पावर टसल की खबरें भी सामने आई थीं। बीते जून महीने में एक विज्ञापन की खूब चर्चा हुई थी। दरअसल, महाराष्ट्र के अखबारों में विज्ञापन छपा था, जिसमें देश के लिए मोदी और महाराष्ट्र के लिए शिंदे का नारा दिया गया था। माना जा रहा था कि इस विज्ञापन से फडणवीस और शिंदे के बीच शीत युद्ध को हवा मिली थी। हालांकि, इस पर शिंदे ने साफ किया था कि ऐसा कुछ भी नहीं है और दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव नहीं है।

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