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Maharashtra Political Crisis : एकनाथ शिंदे की बगावत से हिली उद्धव सरकार, जानिए किस दल के पास हैं कितनी सीटें

Maharashtra Political Crisis: एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना विधायकों के साथ ही कुछ निर्दलीय विधायक भी हैं। इनकी संख्या करीब 35 बताई जा रही है। ऐसे में निश्चित तौर पर उद्धव सरकार के लिए एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है।

Written by: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published on: June 21, 2022 20:23 IST
Maharashtra Political Crisis - India TV Hindi
Image Source : FILE Maharashtra Political Crisis 

Maharashtra Political Crisis : महाराष्ट्र विधान परिषद (MLC) के चुनाव परिणाम में हुई क्रॉस वोटिंग का मामला सामने आने के बाद जबतक महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVS) के शीर्ष नेताओं की नींद खुली तबतक शिवसेना (Shiv Sena) नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) शिवसेना विधायकों के साथ सूरत पहुंच चुके थे। इन विधायकों के सूरत पहुंचने के साथ ही महाविकास अघाड़ी गठबंधन के शीर्ष नेताओं में खलबली मच गई। उद्धव सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे। मुंबई से दिल्ली तक सभी राजनीतिक दलों की शीर्ष लीडरशिप एक्टिव हो गई।ऐसी खबरें आ रही हैं कि एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना विधायकों के साथ ही कुछ निर्दलीय विधायक भी हैं। इनकी संख्या करीब 35 बताई जा रही है। ऐसे में निश्चित तौर पर उद्धव सरकार के लिए एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। विधानसभा की मौजूदा दलीय स्थिति को देखें तो विधानसभा के कुल 288 विधायकों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है और उसके कुल 106 विधायक हैं। शिवसेना के 55, एनसीपी के 54, कांग्रेस के 44, अन्य दलों और निर्दलीय को मिलाकर 30 विधायक हैं। 

महाराष्ट्र विधानसभा: दलगत स्थिति

Maharashtra, Shiv Sena, NCP

Image Source : INDIA TV
Maharashtra Assembly Party-wise Strength.

बहुमत के लिए 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत

महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत के लिए किसी भी दल को 145 विधायक चाहिए। फिलहाल विधानसभा में महाविकास अघाड़ी को 169 विधायकों का समर्थन मिला हुआ है। इनमें शिवसेना के 55 विधायक, एनसीपी-54, कांग्रेस-44, निर्दलीय-10, बीवीए-3, समाजवादी पार्टी-2, सीपीआई (एमएल)-1 विधायक शामिल हैं। इन 169 में से अगर 35 विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सूरत में हैं तो यह निश्चित तौर पर महाविकास अघाड़ी गठबंधन के लिए चिंता की बात है। अगर शिंदे इतने विधायकों के साथ महाविकास अघाड़ी से अलग होते हैं तो फिर उद्धव ठाकरे की सरकार निश्चित तौर पर संकट से घिर जाएगी। क्योंकि 35 विधायकों के अलग होने का मतलब है महाविकास गठबंधन के पास केवल 134 विधायक बचेंगे जो बहुमत के आंकड़े से करीब 11 कम हैं।  इसलिए गठबंधन से जुड़े सभी दल सरकार बचाने की कोशिश में जुट गए हैं।

महा विकास अघाड़ी गठबंधन
Shiv Sena, NCP, Congress

Image Source : INDIA TV
Maha Vikas Aghadi seats.

बीजेपी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी

वहीं बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की बात करें तो बीजेपी महाराष्ट्र विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है। बीजेपी के कुल 106 विधायक हैं जबकि उसे 3 निर्दलीय और अन्य छोटी पार्टियों के 16 विधायकों का समर्थन हासिल है। कुल मिलकर यह आंकड़ा 125 तक पहुंचता है। बहुमत साबित करने के लिए 145 विधायकों की जरूरत है। ऐसे में अगर शिंदे 35 विधायकों के साथ बीजेपी का समर्थन करते हैं तो बीजेपी के समर्थन में विधायकों की कुल संख्या 180 हो जाएगी। 

बीजेपी और सहयोगी दल
BJP, Maharashtra

Image Source : INDIA TV
BJP and Allies.

दल विरोधी कानून से अड़चन

हालांकि विधायकों के पाला बदलने में सबसे बड़ा खतरा दल विरोधी कानून का है। क्योंकि दूसरी पार्टियों से टूटकर आए विधायकों के भविष्य पर खतरा मंडराता रहेगा। क्योंकि इस कानून के तहत टूटनेवाले विधायकों की कुल संख्या संबंधित दल के कुल विधायकों की दो तिहाई होनी चाहिए। यानी शिंदे को कम से कम कुल 36 विधायकों को तोड़ना होगा। इसलिए शिंदे को अपनी कोशिशें के लिए कुछ मेहनत करने की जरूरत पड़ेगी। हालांकि ऐसी भी खबरें हैं कि कांग्रेस के कुछ विधायक भी नॉट रिचेबल हैं। ऐसे में यह मामला दिलचस्प मोड़ ले सकता है। कांग्रेस में विधायकों को तोड़ने के लिए कम से कम 29 बागी विधायकों की जरूरत पड़ेगी। शायद यही वजह है कि बीजेपी फूंक-फूंककर कदम रख रही है। क्योंकि विधायकों के आंकड़े जुटाकर सरकार तो बनाई जा सकती है लेकिन दल-बदल विरोधी कानून का चाबुक उसकी सरकार को ज्यादा समय तक चलने नहीं देगी। 

उद्धव बचा लेंगे अपनी सरकार ?

हालांकि इस बीच पार्टी को ओर से एकनाथ शिंदे को मनाने की कोशिशें भी शुरू कर दी गई है। शिंदे ने एक ट्वीट कर कहा कि वे एक कट्टर शिवसैनिक हैं। बाला साहेब ने उन्हें हिंदुत्व सिखाया है। उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता के लालच में किसी से धोखा करना उन्होंने नहीं सीखा। उनके इस बयान से शिवसेना कैंप में थोड़ी राहत तो जरूर हुई होगी। लेकिन फिर भी यह देखना दिलचस्प रहेगा कि बीजेपी महाराष्ट्र में दोबारा अपनी सरकार बनाने में कामयाब रहती है या फिर उद्धव ठाकरे एक बार फिर अपनी सरकार बचाने में सफल साबित होते हैं।

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