पालघर: मुंबई से करीब 130 किलोमीटर दूर पालघर जिले में 2 साधुओं की मॉब लिंचिंग होते-होते बच गई। यहां वांगांव पुलिस स्टेशन क्षेत्र के चंद्रनगर गांव में साधुओं को बच्चा चोर समझा गया। सैकड़ों ग्रामीणों ने उन्हें घेर रखा था और किसी भी वक्त उनपर हमला कर सकते थे लेकिन पुलिस ने तत्काल मौके पर पहुंचकर भीड़ को न केवल शांत कराया, बल्कि हिंसा को टालते हुए दोनों साधुओं को सुरक्षित बचा लिया। जिस गांव में 2 अप्रैल की रात 10 बजे साधुओं को बच्चा चोर समझकर आदिवासी गांववाले हमला करनेवाले थे उस चंद्रनगर गांव में इंडिया टीवी की टीम पहुंची। इस दौरान पुलिस की वो टीम भी साथ थी जिन्होंने उन दो साधुओं को बचाया। पूरे गांव में कुल 4500 लोग रहते है।
2020 में हुई थी साधुओं की हत्या
बता दें कि साल 2020 में पालघर के गढ़चिंचले गांव में साधुओं की मॉब लिंचिंग हुई थी। ग्रामीणों ने दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। वैसी घटना दोबारा ना हो इसके लिए पिछले 7-8 महीनों से जिले के सभी आदिवासी गांवों में "जनसंवाद अभियान" चलाया जा रहा है जिससे पुलिस की टीम गांववालों की समस्याओं से लेकर उनके काम करने को लेकर कैम्प लगा रहे है ताकि पुलिस और आदिवासी गांववालों के बीच बातचीत का तालमेल बन सके।
पुलिस ने बनाए 150 व्हाट्सएप ग्रुप
वांगांव पुलिस के API संदीप कहाले ने बताया कि उनपर करीब 40 गांवों की जिम्मेदारी है और ऐसे ही लोगों के साथ उन्होंने "जनसंपर्क अभियान मित्र" कर व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है। एक गांव का एक व्हाट्सएप ग्रुप है। इसी के तहत हर गांव में एक हवलदार या पुलिस से जुड़े व्यक्ति को तैनात किया है जो हर दूसरे दिन गांववालों से सरपंच से मिलते रहते है ताकि उन्हें भरोसा हो और इसी भरोसे को आगे बढ़ाने के लिए पुलिस की टीम ने गांववालों के साथ करीब 150 व्हाट्सएप ग्रुप बनाए है जिसमे गांव के सरपंच से लेकर टीचर, स्टूडेंट्स, दूसरे व्यवसायी समेत गांववाले भी रहते है जो पुलिस के लिए आंख-कान का काम करते है।
पुलिस ने साधुओ को ऐसे बचाया
उन्होंने बताया, इन्हीं व्हाट्सएप ग्रुप में 2 अप्रैल को हमें वांगांव इलाके में दो साधुओं के दिखने की खबर मिली। वहां के लोगों ने उन दोनों को बच्चा चोर समझकर घेर लिया था जिसके बाद हमने पुलिस की दो टीम भेजी और उन दो साधुओं को रेस्क्यू किया और वहां से पुलिस स्टेशन लाए। साधुओं से पूछताछ करने पर पता चला कि वो महाराष्ट्र के यवतमाल के है और अभी परिवार के साथ गुजरात के बॉर्डर से वांगाव पहुचे थे। दोनों वहां खाने के लिए गांव वालों से कुछ मांग रहे थे जिसपर गांववालों ने उन्हें बच्चा चोर समझा। फिलहाल उन साधुओं को उनके घर जाने दिया गया है।
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एसपी ने बताया कि व्हाट्सएस ग्रुप बनाने और लगातार उनके पुलिस टीम के जाने से आदिवासी गांववालों का भरोसा बढ़ा जिससे हमें यह खबर मिली और 2020 की घटना दोबारा होने से हम साधुओं को बचा सकें।