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Maharashtra News: महाराष्ट्र के एक गांव में बंदरों के नाम है 32 एकड़ जमीन, जानें पूरा मामला

Maharashtra News: महाराष्ट्र के एक गांव में 32 एकड़ जमीन बंदरों के नाम होने का एक दुर्लभ मामला सामने आया है। उस्मानाबाद के उपला गांव में लोग बंदरों को खास तवज्जो देते हैं। वे उनके दरवाजे पर आने पर उन्हें खाना खिलाते हैं और कभी-कभी शादी शुरू करने से पहले भी उनका सम्मान भी करते हैं।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published on: October 16, 2022 15:05 IST
Representational Image- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO (PTI) Representational Image

Highlights

  • लोग बंदरों को देते हैं खास सम्मान
  • 32 एकड़ जमीन बंदरों के नाम
  • हर खास मौके का हिस्सा रहते हैं बंदर

Maharashtra News: आज के दौर में जब जमीन को लेकर विवाद आम बात हो गई है, ऐसे में महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के एक गांव का मामला रोमांच पैदा करने वाला है। दरअसल, यहां 32 एकड़ जमीन को बंदरों के नाम कर दिया गया है। इस गांव में बंदरों के लिए लोगों में इतना सम्मान है कि कई बार तो शादियों में लोगों से पहले बंदरों को खाना खिलाया जाता है। उपला ग्राम पंचायत के भू-अभिलेखों के मुताबिक, 32 एकड़ जमीन गांव में रहने वाले सभी बंदरों के नाम हैं।

लोग बंदरों को देते हैं खास सम्मान

महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले का उपला गांव बंदरों के सम्मान को लेकर काफी चर्चा में है। यहां के लोग बंदरों को खास सम्मान देते हैं। वे उनके दरवाजे पर आने पर उन्हें खाना देते हैं और कभी-कभी शादी समारोह शुरू करने से पहले भी उनका सम्मान किया जाता है।

32 एकड़ जमीन बंदरों के नाम

उपला ग्राम पंचायत के भूमि अभिलेखों के अनुसार, 32 एकड़ जमीन गांव में रहने वाले सभी बंदरों के नाम है। गांव के सरपंच बप्पा पड़वाल ने मीडिया से कहा, '' दस्तावेज में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि भूमि बंदरों की है, हालांकि जानवरों के लिए यह प्रावधान किसने और कब किया, इसका कुछ पता नहीं है।''

हर खास मौके का हिस्सा रहते हैं बंदर

उन्होंने बताया कि पहले बंदर गांव में किए जाने वाले सभी खास मौकों का हिस्सा होते थे। पड़वाल ने बताया कि गांव में अब करीब 100 बंदर हैं और पिछले कुछ सालों में उनकी संख्या कम हो रही है क्योंकि ये जानवर एक स्थान पर लंबे समय तक नहीं रहते। उन्होंने बताया कि वन विभाग ने जमीन पर वृक्षारोपण का किया और भूखंड पर एक मकान भी था, जो अब ढह गया है।

कोई भी उन्हें खाने के लिए मना नहीं करता

सरपंच ने कहा, '' पहले, जब भी गांव में शादियां होती थीं तो बंदरों को पहले भेंट दी जाती थी और उसके बाद ही समारोह शुरू होता था। हालांकि अब हर कोई इस प्रथा का पालन नहीं करता है।''उन्होंने बताया कि जब भी बंदर दरवाजे पर आते हैं तो ग्रामीण उन्हें खाना खिलाते हैं। कोई भी उन्हें खाने के लिए मना नहीं करता।

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