Thursday, January 16, 2025
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Maharashtra News: औरंगाबाद का नाम बदलने के उद्धव के फैसले पर CM शिंदे ने लगाई रोक, ये है वजह

Maharashtra News: उद्धव ठाकरे नीत एमवीए सरकार ने 29 जून को कैबिनेट की आखिरी बैठक में मध्य महाराष्ट्र में स्थित औरंगाबाद का नाम छत्रपति शिवाजी के बड़े बेटे छत्रपति संभाजी के नाम पर “संभाजीनगर’ करने की घोषणा की थी।

Written By: Khushbu Rawal
Published : Jul 15, 2022 18:51 IST, Updated : Jul 15, 2022 18:51 IST
Eknath Shinde
Image Source : PTI Eknath Shinde

Highlights

  • औरंगाबाद का नाम बदलने के कुछ घंटे बाद ही ठाकरे ने CM पद से दिया था इस्तीफा
  • शिंदे ने अगले दिन 30 जून को भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी
  • कैबिनेट की आखिरी बैठक में औरंगाबाद का नाम बदलना अवैध था- शिंदे

Maharashtra News: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को कहा कि पूर्ववर्ती महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार द्वारा औरंगाबाद का नाम बदलने के संबंध में लिया गया फैसला अवैध था, क्योंकि सरकार अल्पमत में थी और इसे कैबिनेट की अगली बैठक में फिर से मंजूरी दी जाएगी। उद्धव ठाकरे नीत एमवीए सरकार ने 29 जून को कैबिनेट की आखिरी बैठक में मध्य महाराष्ट्र में स्थित औरंगाबाद का नाम छत्रपति शिवाजी के बड़े बेटे छत्रपति संभाजी के नाम पर “संभाजीनगर’ करने की घोषणा की थी। इसके कुछ घंटे बाद ही ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। शिंदे ने अगले दिन 30 जून को भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

सीएम शिंदे ने यहां एक कार्यक्रम में दावा किया, “एमवीए सरकार ने अपनी कैबिनेट की आखिरी बैठक में औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का फैसला तब किया, जब सरकार अल्पमत में आ गई थी। (ऐसी स्थिति में) कैबिनेट की बैठक करना अवैध था।” शिंदे ने कहा कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने कई दशक पहले औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का ऐलान किया था। औरंगाबाद का नाम मुगल बादशाह औरंगज़ेब के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा, “पहले से ही संभाजीनगर नाम है। हम कैबिनेट की अगली बैठक में इसे मंजूरी देंगे, जो इस फैसले को कानूनी तौर पर सुरक्षित करेगा।’’

महाराष्ट्र के लोगों ने विद्रोह करने के मेरे फैसले को स्वीकार किया- शिंदे

शिंदे ने यह भी कहा कि उन्होंने शिवसेना के नेतृत्व के खिलाफ बगावत पार्टी और इसके कार्यकर्ताओं को बचाने के लिए की। उन्होंने कहा, “तीन दलों के गठबंधन वाली सरकार में हमारा मुख्यमंत्री होने के बावजूद हमें राजनीतिक रूप से कुछ नहीं मिला। हम नगर पंचायत चुनाव में चौथे स्थान पर रहे।” वह शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एवं कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार में वरिष्ठ मंत्री थे। शिंदे ने दावा किया कि राज्य के लोगों ने विद्रोह करने के उनके फैसले को स्वीकार किया है, क्योंकि यह राज्य के हित में था।

'एक महीने के अंदर नाम नहीं बदला तो शिवसेना कार्यकर्ता करेंगे आंदोलन'
इस बीच, औरंगाबाद में शिवसेना के नेता और पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे ने चेताया कि अगर शहर का नाम एक महीने के अंदर नहीं बदला गया तो पार्टी कार्यकर्ता आंदोलन शुरू कर देंगे। वह ठाकरे के खेमे के हैं। खैरे ने कहा कि शिंदे नीत सरकार ने नाम बदलने पर रोक लगा दी है, जो छत्रपति संभाजी का अपमान है। शहर के हवाई अड्डे का नाम भी एक महीने में संभाजी के नाम पर रखने की मांग करते हुए खैरे ने कहा, “भाजपा जब 2014-19 तक सत्ता में थी, तब उसने नाम क्यों नहीं बदला? भाजपा नीत केंद्र सरकार ने औरंगाबाद हवाई अड्डे का नाम (छत्रपति संभाजी के नाम पर रखने) का प्रस्ताव तक पारित नहीं किया।’’

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