Highlights
- मुझे विश्वास है कि सभी 50 विधायक चुनाव जीतेंगे- शिंदे
- बालासाहेब और आनंद दीघे से प्रेरित हैं शिवसेना विधायक- शिंदे
- ढाई साल के MVA कार्यकाल में घुटन महसूस कर रहे थे विधायक- शिंदे
Maharashtra News: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को घोषणा की कि अगर उनके साथ शामिल होने वाला एक भी विधायक अगला विधानसभा चुनाव हार जाता है तो वह राजनीति छोड़ देंगे। शिंदे ने अपने एक समर्थक विधायक अब्दुल सत्तार की एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, "मुझे विश्वास है कि ये सभी 50 विधायक चुनाव जीतेंगे.. अगर इनमें से कोई भी हारता है, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।"
उन्होंने दोहराया कि अगले राज्य चुनावों में, उनकी शिवसेना और सहयोगी भारतीय जनता पार्टी को संयुक्त रूप से 200 सीटें मिलेंगी या वह राजनीति छोड़ देंगे। तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले MVA के पतन के कारण हाल के नाटकीय विद्रोह का जिक्र करते हुए, शिंदे ने स्वीकार किया कि वह इसके संभावित परिणामों से चिंतित थे। उन्होंने कहा, "जब यह सब हो रहा था, शुरू में कुछ 30 विधायक थे, फिर 50 विधायक.. वे सभी मुझे प्रोत्साहित और समर्थन कर रहे थे। लेकिन मैं चिंतित था, मैंने सोचा कि उनका क्या होगा क्योंकि वे उन्होंने अपना पूरा राजनीतिक करियर मेरे साथ दांव पर लगा दिया था।"
'बालासाहेब ठाकरे और आनंद दीघे से प्रेरित हैं शिवसेना विधायक'
यह याद करते हुए कि कैसे शिवसेना के विभिन्न नेताओं द्वारा उनके समूह को कुत्ते, सूअर और लाश के रूप में लेबल किया गया था, शिंदे ने आरोपों का खंडन किया कि किसी भी विधायक को जबरन ले जाया गया था और कहा कि वे हिंदुत्व और राज्य के विकास के लिए विद्रोह के लिए एक साथ आए थे। उन्होंने कहा कि विधायक बालासाहेब ठाकरे और आनंद दीघे से प्रेरित हैं, जो हमेशा कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक दुश्मन मानते थे और वह ढाई साल के एमवीए कार्यकाल के तहत घुटन महसूस कर रहे थे।
औरंगाबाद का नाम बदलने के उद्धव के फैसले पर शिंदे ने लगाई रोक
इससे पहले शिंदे ने कहा कि MVA सरकार द्वारा औरंगाबाद का नाम बदलने के संबंध में लिया गया फैसला अवैध था, क्योंकि सरकार अल्पमत में थी और इसे कैबिनेट की अगली बैठक में फिर से मंजूरी दी जाएगी। उद्धव ठाकरे नीत एमवीए सरकार ने 29 जून को कैबिनेट की आखिरी बैठक में मध्य महाराष्ट्र में स्थित औरंगाबाद का नाम छत्रपति शिवाजी के बड़े बेटे छत्रपति संभाजी के नाम पर “संभाजीनगर’ करने की घोषणा की थी। इसके कुछ घंटे बाद ही ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। शिंदे ने अगले दिन 30 जून को भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
'कैबिनेट की अगली बैठक में देंगे औरंगाबाद का नाम बदलने की मंजूरी'
शिंदे ने दावा किया, “एमवीए सरकार ने अपनी कैबिनेट की आखिरी बैठक में औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का फैसला तब किया, जब सरकार अल्पमत में आ गई थी। (ऐसी स्थिति में) कैबिनेट की बैठक करना अवैध था।” शिंदे ने कहा कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने कई दशक पहले औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का ऐलान किया था। औरंगाबाद का नाम मुगल बादशाह औरंगज़ेब के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा, “पहले से ही संभाजीनगर नाम है। हम कैबिनेट की अगली बैठक में इसे मंजूरी देंगे, जो इस फैसले को कानूनी तौर पर सुरक्षित करेगा।’’