Saturday, December 21, 2024
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Maharashtra: विश्वास मत को लेकर सीरियस नहीं थी एनसीपी और कांग्रेस?

Maharashtra: विश्वास मत के दौरान जब एक-एक वोट की कीमत होती है, तब कांग्रेस के 10 विधायक गायब रहे। वहीं एनसीपी के भी संग्राम जगताप के साथ 9 और विधायक गायब दिखे।

Edited By: Sushmit Sinha
Published : Jul 04, 2022 16:52 IST, Updated : Jul 04, 2022 17:38 IST
Sharad Pawar (File Photo)
Image Source : PTI Sharad Pawar (File Photo)

Highlights

  • विश्वास मत में गायब दिखे कांग्रेस के 10 विधायक
  • एनसीपी के भी संग्राम जगताप सहित 9 विधायक गायब दिखे
  • फ्लोर टेस्ट में एमवीए को मिले 99 वोट

उद्धव ठाकरे, जो महाराष्ट्र (Maharashtra) में एनसीपी और कांग्रेस (Congress) के साथ मिलकर सरकार चला रहे थे वो अब गिर चुकी है। हालांकि, गठबंधन अब भी बरकरार है। लेकिन यह गठबंधन कब तक बरकरार रहेगा इसे लेकर कुछ नहीं कह सकते। दरअसल, जब उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) शिवसेना के भीतर चल रहे उठापटक से जूझ रहे थे, तो उनको उनके गठबंधन के साथियों का उस तरह का साथ नहीं मिला जिसकी उन्हें दरकार थी। यही बात विश्वास मत में भी दिखी, क्योंकि वोटिंग को लेकर एनसीपी और कांग्रेस ने अपने विधायकों पर कोई सख्ती नहीं बरती। यही वजह रही कि विश्वास मत के दौरान जब एक-एक वोट की कीमत होती है, तब कांग्रेस के 10 विधायक गायब रहे। वहीं एनसीपी के भी संग्राम जगताप के साथ 9 और विधायक गायब दिखे। हालांकि इन विधायकों के गायब होने की मुख्य वजह क्या रही, फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है। जबकि 2 विधायक अनिल देशमुख और नवाब मलिक जेल में हैं।

महाराष्ट्र की राजनीतिक उठापटक के बीच एकनाथ शिंदे ने बाजी मार ली है। उन्होंने विश्वास मत में जीत हासिल की है। उनके समर्थन में कुल 164 वोट पड़े हैं। दरअसल, शिंदे को बीजेपी के 104, शिवासेना के 40 बागी विधायकों के साथ रवि राणा और 17 निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायकों का भी साथ मिला है। वहीं कुछ विधायक ऐसे भी रहे हैं जो तटस्थ रहे हैं। इनमें समाजवादी पार्टी के अबू आजमी, रईस शेख और एआईएमआईएम के शाह फारूक का नाम शामिल है।

वोटिंग से पहले अजीत पवार को सौंपी गई थी कमान

विश्वास मत से पहले महाविकास अघाड़ी ने एक बड़ा फैसला लिया था। इसने फ्लोर टेस्ट के दौरान गठबंधन के विधायकों को एकजुट रखने के लिए एनसीपी नेता अजीत पवार को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नेता बना दिया था। एमवीए को यकीन था कि ऐसा करने से शायद कुछ शिवसेना के बागी गुट के विधायक महाविकास अघाड़ी के पक्ष में वोटिंग कर देंगे। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। और बाजी शिंदे गुट ने ही जीती, जैसा कि शुरू से लग रहा था। आपको बता दें अजीत पवार, शरद पवार के वही भतीजे हैं जिनके साथ मिलकर 2019 में एक बार देवेंद्र फडणवीस महराष्ट्र में सरकार बनाने की नाकाम कोशिश कर चुके हैं।

वोटिंग के समय गायब कांग्रेस के विधायक

  1. अशोक चव्हाण
  2. प्रणिती शिंदे
  3. जितेश अंतापुरकर
  4. विजय वडेट्टीवार
  5. झिशांत सिद्दीकी
  6. धीरज देशमुख
  7. कुणाल पाटील
  8. राजू आवळे
  9. मोहन हंबर्डे
  10. शिरीष चौधरी

बहुमत के लिए चाहिए होता है 145 विधायकों का आंकड़ा

महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटे हैं, किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का आंकड़ा छूना होता है। शिंदे गुट के बीजेपी के साथ आने के बाद अब एनडीए के पास 164 का आंकड़ा हो गया है। यानि अब महाराष्ट्र में एनडीए की सराकर होगी। हालांकि 2019 में जब शिवसेना और बीजेपी ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। ऐसा लग रहा था कि सरकार एनडीए की बनेगी। लेकिन आखिरी समय में शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग कर गेम पलट दिया। इसे लेकर बीजेपी और शिवसेना में खूब तनातनी मची और बात नहीं बन पाई। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली थी।

  

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