Highlights
- MLC चुनावों के लिए 20 जून को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक मतदान होगा।
- NCP और कांग्रेस अपनी-अपनी दूसरी सीट जीतने के लिए जोर लगा रही हैं।
- बीजेपी को उम्मीद है कि उसका पांचवां उम्मीदवार भी चुनाव जीत जाएगा।
Maharashtra MLC Elections: महाराष्ट्र में विधान परिषद की खाली हुई 10 सीटों के लिए 20 जून को मतदान होने वाला है। ऐसे में एक बार फिर सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के बीच घमासान होगा। विधान परिषद के चुनाव के लिए महा विकास आघाड़ी के खेमे में टेंशन बढ़ी हुई दिख रही है। इस चुनाव में शिवसेना, कांग्रेस और NCP, तीनों ने अपने 2-2 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं। शिवसेना के संख्या बल को देखकर साफ है कि वह आसानी से दोनों सीटें जीत जाएगी। वहीं, NCP के दूसरी सीट जीतने के लिए एक और कांग्रेस को 8 सीटों की जरूरत होगी।
कांग्रेस, NCP की ‘हरकतों’ से शिवसेना नाराज
कांग्रेस और NCP अपनी-अपनी दूसरी सीट जीतने के लिए शिवसेना के समर्थक निर्दलीय विधायकों से संपर्क करने में लगे हैं। दोनों पार्टियों ने अपनी इस कोशिश से शिवसेना को नाराज कर दिया है। शिवसेना को लगता है कि राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस और एनसीपी ने उसकी ठीक से मदद नहीं की थी, और ऐसे में वह MLC चुनाव में अपने दोनों उमीदवारों को ज्यादा वोट देने के रणनीति पर काम कर रही है। यही वजह है कि सह्याद्री गेस्ट हाउस में शिवसेना और समर्थक निर्दलीय विधायकों की बैठक हुई।
निर्दलीय वोटों के लिए कांग्रेस, NCP में खींचतान
सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना के समर्थक निर्दलीय विधायक गीता जैन और मंजुला पड़वी से NCP के एकनाथ खडसे, अजीत पवार और रामराजे निम्बालकर ने संपर्क किया था और एनसीपी को वोट करने की गुहार लगाई थी। वहीं, बहुजन विकास आघाड़ी के हितेंद्र ठाकुर और उनके विधायकों से कांग्रेस के उमीदवार भाई जगताप और NCP के रामराजे निम्बालकर ने मुलाकात की थी। ऐसे में देखा जाए तो अपनी-अपनी दूसरी सीट जीतने के लिए कांग्रेस और NCP आपस में ही निर्दलीय विधायकों की खींचतान में लगे हैं।
10 सीटों पर ताल ठोक रहे 11 कैंडिडेट
कांग्रेस, NCP और शिवसेना की आपसी खींचतान और होटल स्टे पॉलिटक्स पर बीजेपी तंज कस रही है और राज्यसभा की तरह विधान परिषद का चुनाव जीतने का दावा कर रही है। बीजेपी की तरफ से प्रवीण दरेकर, श्रीकांत भारतीय, उमा खापरे, राम शिंदे और प्रसाद लाड़, ये 5 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस की तरफ से चंद्रकांत हंडोरे और भाई जगताप ताल ठोक रहे हैं। शिवसेना ने आमशा पडवी और सचिन आहिर पर भरोसा जताया है। एनसीपी ने रामराजे निंबालकर और एकनाथ खड़से को मैदान में उतारा है। ऐसे में 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं।
एक सीट जीतने के लिए चाहिए 26 वोट
MLC चुनावों के लिए 20 जून को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक मतदान होगा। 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के रमेश लटके के निधन के बाद अब कुल 287 विधायक हैं। NCP के नवाब मलिक और अनिल देशमुख की वोटिंग की मांग की अर्जी को बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज हाल ही में खारिज कर दिया था। ऐसे में अगर ये 2 वोट कम होते हैं तो विधानसभा का कुल संख्याबल घटकर 285 पर आ जाएगा। ऐसे में एक उम्मीदवार को जीत के लिए करीब 26 वोटों की जरूरत होगी।
राज्यसभा चुनाव के बाद बीजेपी जोश में
MVA यानी महाविकास आघाड़ी के पास 169 विधायकों के समर्थन होने का दावा है, लेकिन राज्यसभा चुनाव में इसमें से 10 वोट फूट गए थे। इनमें से 6 वोट निर्दलियों के थे। बीजेपी के 106 विधायक हैं और 7 निर्दलीय उनके समर्थन में हैं ऐसे में उसके पास 113 की संख्या है। राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को छोटे दलों के 4 और निर्दलियों के 6 वोट मिले थे, ऐसे में वह अपनी स्ट्रेंथ 123 बता रही है। विधान परिषद का चुनाव सीक्रेट बैलेट से होगा, ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि वह 5वीं सीट भी जीत जाएगी।
शिवसेना आसानी से जीत सकती है 2 सीटें
बीजेपी की इस उम्मीद के पीछे महाविकास आघाड़ी में आंतरिक विरोध के साथ-साथ गठबंधन से कई निर्दलीय विधायकों की नारजगी है। एक सीट जीतने के लिए 26 वोटों की जरूरत होगी, और शिवसेना के पास 55 विधायक हैं, और उसे 8 अन्य विधायकों का समर्थन है जिससे उसका संख्याबल 63 हो जाता है। यदि गुप्त मतदान में गड़बड़ी नहीं हुई तो शिवसेना आसानी से 2 सीटें जीत जाएगी। वहीं, NCP के पास 51 विधायक है, जिसमें से 2 विधायक जेल में हैं, और 3 समर्थक विधायक हैं। ऐसे में NCP भी अपनी दोनों सीटें जीत सकती है।
कांग्रेस के लिए दूसरी सीट जीतना आसान नहीं
जहां तक बीजेपी का सवाल है, तो उसके साथ कुल मिलाकर 113 विधायक हैं, और गणित के हिसाब से उसकी 4 सीटें आसानी से चुनकर आएंगी, जबकि पांचवी सीट के लिए उसे मशक्कत करनी पड़ेगी। कांग्रेस के 44 विधायक हैं, और वह 2 सीटों पर लड़ रही है। कांग्रेस को अपनी दूसरी सीट जीतने के लिए कम से कम 8 विधायकों की जरूरत पड़ेगी जो कि आसान नहीं लग रहा है। ऐसे में 20 जून को यह देखना दिलचस्प होगा कि सूबे की सियासत का ऊंट किस करवट बैठता है।