मुंबई: महाराष्ट्र में इन दिनों मदरसा सियासत की केंद्र बिन्दु बना हुआ है। राज्य में सरकार ने मदरसे के फंड बढ़ाई है साथ ही कुछ शर्त भी लगाई है। इसी को लेकर विपक्ष के नेता सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने सरकार की मंशा को लेकर सवाल दागे हैं। रईस शेख ने कहा कि सरकार की मंशा पर हमें संदेह है क्योंकि फंड के लिए ऐसे शर्ते लगाई गई है जो मदरसों को मजबूर कर देंगे। वहीं, सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री अब्दुल सत्तार ने इन सवालों को लेकर अपनी बात रखी है।
सरकार ने रखी है ये शर्त
बता दें कि मदरसों को आधुनिक बनाने के प्रयास में, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य में हर मदरसे को आधुनिक बनाने के लिए 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का निर्णय लिया है। इसकी जानकारी जीआर के जरिए दी है। सरकार ने शर्त रखते हुए जीआर में कहा कि जाकिर हुसैन मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत उन मदरसों को धनराशि दी जाएगी जो सिलेबस में साइंस और मैथ को अनिवार्य विषयों के रूप में पढ़ाते हैं।
सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
विधायक रईस शेख ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनकी मंशा पर हमें संदेह है क्योंकि फंड के लिए ऐसे शर्तें लगाई गई हैं जो मदरसों को मजबूर कर देंगे, हमें मदद करो पर अपना गुलाम मत बनाओ। हमारे मदरसे में दखलअंदाजी मत करो। विधायक ने आगे कहा कि अगर आपकी नियत अच्छी है तो इस फंड के लिए जो शर्तें आपने लगाई है उन शर्तों को हटा दो। इस सरकार पर हमारा भरोसा नहीं है। बीजेपी के विधायक मुस्लिम समाज के लोगों को टारगेट करते हैं। आप हमें फंड दीजिए, हम आपको मदरसों का आधुनिकीकरण करके दिखाते हैं।
"मुसलमान के लिए ही ऐसी शर्ते क्यों?"
शेख ने आगे कहा कि इसके पहले सरकार ने जो 2 लाख का फंड रखा था वह कितने मदरसों को मिला, अब 10 लाख कितने मदरसों को मिलेगा? सरकार सिर्फ बयानबाजी कर रही है। मुसलमान के लिए कुछ कर नहीं रही हैं। दूसरे समाज के लिए जो सुविधा दी जा रही हैं वहां तो आप ऐसी शर्ते नहीं लगाते हैं फिर मुसलमान के लिए ही ऐसी शर्ते क्यों? जिन मुसलमान की आप मदद करना चाहते हैं उन मुसलमान को तो विश्वास में लीजिए। मुस्लिम समाज को जो मंजूर हो वही शर्तें आप लागू करिए। सरकार साफ साबित करें की उनकी नियत साफ है।
अल्पसंख्यक मंत्री ने दिया जवाब
वहीं, महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री अब्दुल सत्तार ने इन सवालों के जवाब में कहा कि मैं किसी भी मुस्लिम समाज के व्यक्ति को फंसाना नहीं चाहता हूं, किसी भी मौलाना को इलेक्शन ड्यूटी पर लगाया नहीं जाएगा। यह फैसला मदरसों के विकास के लिए लिया गया है। इसके पहले जब हम 2 लाख का फंड देते थे तब किसी भी मौलाना को इलेक्शन ड्यूटी पर नहीं लगाया गया, मदरसे के किसी भी टीचर्स पर कभी कोई पाबंदी नहीं लगाई गई।
इस फैसले से वोट का लेना-देना नहीं
अल्पसंख्यक मंत्री ने आगे कहा कि मदरसों को जो फंड दिया जाता था वह काफी पुराना सिस्टम था। आज बदलते वक्त के साथ जरुरतें बढ़ गई है। मदरसों को सक्षम करने के लिए हमने 2 लाख का फंड बढ़कर 10 लाख कर दिया है। मदरसा काफी अहम है। मदरसों में दीनी तालीम दी जाती है। ऐसे में मदरसों में बुनियादी सुविधाएं अच्छी होनी चाहिए।
मंत्री ने आगे कहा कि हमारी सरकार की छवि एंटी-माइनॉरिटी नहीं है। सरकार सभी का विकास करती है तो अल्पसंख्यक समाज का भी विकास होना चाहिए। हमारे इस फैसले से वोट का लेना-देना नहीं है। जैसे हम हिंदू भाइयों की मदद करते हैं, उसी तरह अल्पसंख्यकों को भी मदद करते है। यह फंड लेने के लिए किसी पर जबरदस्ती नहीं की जाएगी। जिसे फंड की जरूरत है वह कलेक्टर के पास अप्लाई कर सकता है।
"समाजवादी पार्टी मदरसों की दुश्मन"
अब्दुल सत्तार ने आगे जवाब दिया कि हमारा फैसला राजनीतिक नहीं है, समाज के विकास के लिए यह फैसला लिया है। इस फैसले के जरिए किसी पर कब्जा करना नहीं है। यह फंड देकर हम किसी पर एहसान नहीं कर रहे हैं, यह उसका हक है। समाजवादी पार्टी खुद से एक मदरसा चला कर दिखाएं। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी, रईस शेख यहां आकर हमारी जय जयकार करते हैं और बाहर जाकर हमारा विरोध करते हैं। समाजवादी पार्टी मदरसों की दुश्मन है।
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