शिवसेना विधायकों के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष का बड़ा बयान सामने आया है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा है कि संविधान के अनुसार विधायकों के निलंबन का निर्णय विधानसभा अध्यक्ष का (मेरा) अधिकार है। नार्वेकर ने कहा कि निर्णय असवैंधनिक होने पर कोर्ट हस्तक्षेप करता है, लेकिन बतौर अध्यक्ष हम सही फैसला लेंगे।
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने क्या कहा?
राहुल नार्वेकर ने कहा कि अध्यक्ष पद खाली होने पर उपाध्यक्ष को फैसला लेना पड़ता है, लेकिन राज्य में अध्यक्ष के पद पर मैं हूं, कोई स्थान रिक्त नहीं है। यदि विधानसभा स्पीकर के निर्णय असवैंधनिक हैं, या कानून के खिलाफ हैं तो सिर्फ इन परिस्थिति में ही कोई भी कोर्ट या कोई और बॉडी इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार रखता है। हमारे यहां कार्यकारी मंडल या विधि मंडल या न्याय मंडल इन तीनों को समान अधिकार खुद संविधान ने दिया है। ऐसे में अगर संविधान पर विश्वास बनाए रखना है तो मुझे यकीन है कि सभी को मुक्त तौर पर काम करने का मौका मिलेगा।
"ये अधिकार विधानसभा स्पीकर के पास"
राहुल नार्वेकर ने आगे कहा, "संविधान में जारी जानकारी के हिसाब से मैं विधानसभा अध्यक्ष यानी मेरे कर्तृत्व अबाधित रहेंगे। अपना निर्णय हम संविधान के नियमों के हिसाब से ही लेंगे। उपाध्यक्ष का मामला कोर्ट में है तो इस पर नहीं बात करनी चाहिए, मैं इसे उचित नहीं समझता। इसमें कोई दो राय नहीं कि विधायकों के पात्र और अपात्र के अधिकार विधानसभा स्पीकर के पास होते हैं।"
संजय राउत पर भी बोले विधानसभा अध्यक्ष
वहीं इस दौरान महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, "संजय राउत हर सुबह कुछ ना कुछ बोलते हैं। उनकी बातों को गंभीरता से लेना जरूरी नहीं है। इस आरोप में कोई तथ्य नहीं है, उस पर जवाब देना सही नहीं समझता हूं। जिस पद पर मैं बैठा हूं उस पद की गरिमा रखना बहुत जरूरी है। मेरे यहां रहने से या कहीं जाने से सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं बदलेगा। निलंबन या पात्र-अपात्र का निर्णय लेने का अधिकार जमीनी स्तर पर केवल और केवल विधानसभा अध्यक्ष (मेरे) पास है।
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