Maharashtra Heatwave: महाराष्ट्र में इस बार अभूतपूर्व गर्मी पड़ रही है और प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में पारा बढ़कर 46 डिग्री सेल्सियस हो गया है। गर्मी और लू की वजह से अब तक कम से कम 25 लोगों की जान जा चुकी है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। लू की वजह से अभी तक हुई मौतें 2016 के बाद से सबसे अधिक हैं। राज्य में हीट स्ट्रोक के लगभग 375 मामले सामने आ चुके हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के निगरानी अधिकारी (सर्विलांस ऑफिसर) डॉ. प्रदीप अवाटे ने कहा कि पिछले 100 वर्षों में तापमान में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के साथ, महाराष्ट्र में लू के कारण सबसे अधिक 25 मौतें हुई हैं और कई अन्य लोग भी इससे पीड़ित हैं।
महाराष्ट्र के कई हिस्सों में प्री-मानसून बारिश की संभावना
डॉ. प्रदीप ने कहा कि चंद्रपुर वैश्विक हॉटस्पॉट में से एक है, जहां तापमान 46 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। हालांकि, IMD ने कहा है कि अगले कुछ दिनों में गर्मी से राहत मिल सकती है क्योंकि राज्य के कई हिस्सों में प्री-मानसून बारिश की संभावना है। हालांकि आईएएनएस डॉ. प्रदीप ने लोगों से पूरी सावधानी बरतने का आग्रह किया है। विडंबना यह है कि महाबलेश्वर, जिसे आमतौर पर ठंडा स्थान माना जाता है वह भी इस बार तप रहा है। इस हिल-स्टेशन पर पूरे राज्य के लोग गर्मियों के दौरान आते हैं, मगर इस बार यहां भी मई की शुरूआत में ही 31 डिग्री तापमान देखा जा रहा है, जबकि इसके पड़ोस में स्थित पंचगनी में भी पारा 32 डिग्री पहुंच चुका है।
40-46 डिग्री सेल्सियस के बीच उबल रहे मराठवाड़ा और विदर्भ
मार्च के अंत से राज्य के बड़े हिस्से में तापमान 35 से 46 डिग्री के बीच रहा है, विशेष रूप से राज्य के उत्तरी और मध्य भागों के अलावा मराठवाड़ा और विदर्भ के पारंपरिक हॉटस्पॉट 40-46 डिग्री सेल्सियस के बीच उबल रहे हैं। 25 हीट-वेव मौतों में से 15 की रिपोर्ट विदर्भ से दर्ज की गई है, जिसमें 11 नागपुर में, 3 अकोला में और अमरावती जिलों में एक मामला शामिल है। इसके अलावा मराठवाड़ा से छह मौतें हुई हैं, जहां जालना से 2 और परभणी, हिंगोली, उस्मानाबाद और औरंगाबाद से एक-एक मौत शामिल है। वहीं उत्तर महाराष्ट्र के जलगांव में चार मौत लू लगने के कारण दर्ज की गई हैं।
हीट वेव की वजह से मौतों का आंकड़ा इस साल ज्यादा
राज्य में पिछले सात वर्षों में हीट वेव के कारण यह सबसे अधिक मौतों का आंकड़ा है। इस बीच डॉ. प्रदीप ने कहा कि 2016 में लू की वजह से 19 मौतें हुईं थीं, इसके बाद 2018 में 2 और 2019 में 9 मौतें हुईं थीं, जो 2022 में 25 तक पहुंच गईं हैं। सभी मौतों का विश्लेषण संबंधित जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा पीड़ित के लक्षणों, गर्मी के संपर्क में आने, पिछले 72 घंटों के तापमान-आद्रता के स्तर के आधार पर किया जाता है, जहां मौत का कारण हीट वेव या हीट-स्ट्रोक होता है।
डॉ. प्रदीप ने कहा कि गर्मी की शुरुआत से पहले, स्वास्थ्य विभाग फरवरी में अपनी स्वास्थ्य आकस्मिक योजना के साथ तैयार था और यह आईएमडी से दैनिक तापमान की निगरानी करता है, जिसके बाद आगे के उपचारात्मक उपाय किए जाते हैं। ऊर्जा मंत्री डॉ. नितिन राउत के अनुसार, लू ने बिजली की मांग को अब तक के उच्चतम स्तर 28,276 मेगावाट तक बढ़ा दिया है।
(इनपुट- IANS)