महाराष्ट्र इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (MITRA) के नए कार्यालय की जरूरत और किराए को लेकर विपक्ष शिंदे सरकार पर सवाल खड़े कर रही है। दरअसल, मित्रा (MITRA) का नया कार्यालय मुंबई के सबसे महंगे नरीमन पॉइंट इलाके में स्थित निर्मल भवन में शिफ्ट किया गया है। मित्रा के नए कार्यालय का कुल क्षेत्रफल 7920 स्क्वायर फुट है। इस नए ऑफिस के लिए महाराष्ट्र सरकार ने हर महीने 21,38,400 रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है। इसी खर्चे को लेकर विपक्ष का कहना है कि निजी इमारत में लाखों रुपये किराया देने का क्या औचित्य है।
क्या है मित्रा और क्यों ऑफिस हो रहा शिफ्ट?
दरअसल, 11 नवंबर 2022 को राज्य की एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मित्रा का गठन किया था। मित्रा का गठन महाराष्ट्र सरकार के विभिन्न विभागों का डाटा एनालिसिस करना, उनके बीच समन्वय स्थापित करना और परियोजनाओं पर काम करने के साथ ही महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन तक पहुंचाने के लिए किया गया है। मित्रा का पहला कार्यालय सरकारी इमारत नवीन प्रशासन भवन में था जिसका क्षेत्रफल 1200 स्क्वायर फुट था। मित्रा की ओर से सरकार को नए कार्यलय की मांग की गई थी क्योंकि पुरानी जगह काम के लिहाज से अपर्याप्त थी।
"जब महाराष्ट्र का बजट घाटे में है तो..."
बता दें कि महाराष्ट्र इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (MITRA) मित्रा के अध्य्क्ष मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपाध्यक्ष उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हैं। इसके सीईओ प्रवीण परदेसी हैं। इस विभाग को नए और निजी ऑफिस में शिफ्ट करने को लेकर उद्धव बालसाहेब गुट के नेता प्रतिपक्ष अम्बादास दानवे कहते हैं कि सरकारी इमारत में सरकारी कार्यालय होना जरूरी है। निजी इमारत में लाखों रुपये खर्च करने का क्या औचित्य है, खासकर तब जब महाराष्ट्र का बजट घाटे में हो।
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री ने दी सफाई
वहीं महाराष्ट्र सरकार के मंत्री दीपक केसरकर का कहना है कि जिस इमारत में मित्रा का कार्यालय पहले था वो बहुत छोटा था। नवीन प्रशासनिक भवन में जगह कम है और मित्रा का उद्देश्य महारष्ट्र की अर्थव्यवसथा को एक ट्रिलियन तक पहुंचाना है। इसलिये मित्रा के उद्देश्य पर शंका व्यक्त करना सही नहीं है। मित्रा का गठन नीति आयोग की तर्ज पर किया गया है। महाराष्ट्र जैसे बड़ी अर्थवयवस्था अन्य राज्यों की तुलना में अग्रसर राज्य को निरंतर मित्रा जैसे समिति की जरूरत होना लाजमी है पर उस पर हो रहा खर्च भी उतना ही मायने रखता है।
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